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हम व्यापक और समावेशी जनादेश चाहते हैं : नड्डा

07:06 AM Jan 08, 2024 IST
हम व्यापक और समावेशी जनादेश चाहते हैं   नड्डा
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि आगामी आम चुनाव में विकास, सुरक्षा और राष्ट्रीय समृद्धि के लिए वोट मांगे जाएंगे। द ट्रिब्यून समाचार पत्र समूह के प्रधान संपादक राजेश रामचंद्रन के साथ एक विस्तृत बातचीत में उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा अपने समर्थन को व्यापक और समावेशी बनाना चाहती है। साथ ही दावा किया कि पार्टी उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करेगी। हिमाचल और हरियाणा के दौरे पर आए नड्डा के साथ कई अन्य मुद्दों पर भी बातचीत हुई। पेश है साक्षात्कार के मुख्य अंश...

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वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की चुनावी रणनीति के लिए राम मंदिर का उद्घाटन कितना केंद्रीय है?
सबसे पहले, यह देखना बेहद निराशाजनक है कि श्रीराम मंदिर के उद्घाटन से कुछ दिन पहले मीडिया में ऐसे सवाल उठ रहे हैं। यह तो हर भारतीय के लिए गौरव का क्षण है। भाजपा तुष्टीकरण नहीं, संतुष्टि की राजनीति में विश्वास करती है। हमारी राजनीति का लक्ष्य ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ है। राम मंदिर के निर्माण का राजनीतिकरण उन लोगों द्वारा किया गया, जिन्होंने प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को नकार दिया; कारसेवकों पर गोलियां चलाईं; और राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की पूरी कोशिश की। भाजपा केवल इस सदियों पुराने मुद्दे का समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है।

हिंदी पट्टी के राज्यों पर नजर डालें तो क्या 2019 में भाजपा का प्रदर्शन चरम पर नहीं था? आप अपनी संख्या को 303 से आगे कैसे ले जाएंगे?
देश को भाषायी आधार पर न बांटने की सोच हमारी कभी नहीं हो सकती। हमारे कार्यकर्ता हमारे चुनावी प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास करने में विश्वास करते हैं ताकि हम अंतिम छोर तक सेवा कर सकें। हमने हमेशा कहा है कि हमारा नेतृत्व बूथ स्तर पर रहता है। बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में हमारा प्रदर्शन इस बार हमारे पिछले प्रदर्शन की तुलना में शानदार रहने वाला है और मुझे यकीन है कि परिणाम आपकी धारणाओं और अपेक्षाओं से परे होंगे। हमारे पास मोदी की गारंटी के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का विजन भी है। हम कई राज्यों में क्लीन स्वीप करेंगे।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में ‘40% कट’ आरोप के कारण भाजपा को कम सीटें मिलीं। क्या लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा जैसे

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कुछ भाजपा शासित राज्यों में भी ऐसी ही स्थिति हो सकती है?
मैं आपसे आंशिक रूप से सहमत हूं कि हम कर्नाटक में विपक्ष द्वारा फैलाए गए भ्रष्टाचार के प्रचार का ठीक से मुकाबला नहीं कर पाए। हालांकि, कर्नाटक में लोगों को पता चल गया है कि कांग्रेस ने उन्हें कैसे धोखा दिया। चुनाव के समय, कांग्रेस ने कर्नाटक में ‘5 गारंटी’ का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद, सिद्धारमैया सरकार ने इन पांच गारंटी के नाम पर सभी विकास रोक दिया। राज्य में तुष्टीकरण की राजनीति ने लोगों की दुर्दशा को और बढ़ा दिया है। मुझे विश्वास है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन कर्नाटक की सभी सीटें जीतेगा। मैं यह भी उजागर करना चाहूंगा कि अधिकांश राज्य जहां भाजपा सत्ता में है, वहां सत्ता-समर्थक लहर का फायदा होगा, क्योंकि हम लोगों के कल्याण के लिए काम करते हैं, जबकि जिन राज्यों में कांग्रेस या अन्य दलों का शासन है, उन्हें सत्ता-विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि वे काम करते हैं केवल अपने स्वार्थ के लिए, एक परिवार के लिए। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंका गया, जबकि मध्य प्रदेश में 18 साल तक भाजपा के शासन के बावजूद, वह रिकॉर्ड बहुमत से दोबारा चुनी गई। यही प्रवृत्ति गुजरात, उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर जैसे राज्यों में भी देखी गई।
विपक्षी ‘इंडिया गठबंधन’ बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कुछ अन्य राज्यों में मजबूत दिख रहा है। आप इसकी चुनौती से

कैसे पार पाने की योजना बना रहे हैं?
ऐसा कोई गठबंधन नहीं है। यह सिर्फ एक अवसरवादी समूह है जो राजनीतिक लाभ चाहता है और अपने परिवारों की रक्षा करना चाहता है। किसी भी राज्य में यह गठबंधन काम नहीं करेगा। आपको क्या लगता है कि वे बिहार, महाराष्ट्र, बंगाल, केरल और तमिलनाडु में मजबूत हैं? जमीनी हकीकत कुछ और है। तमिलनाडु में हम हमेशा कांग्रेस और डीएमके के खिलाफ लड़े हैं। क्या हम पश्चिम बंगाल में ममता दीदी से नहीं लड़े? किसने कहा कि जब पार्टियों के बीच गठबंधन होगा तो मतदाता उनकी ओर चले जायेंगे? अगर ऐसा होता तो क्या वे उत्तर प्रदेश में लगातार चार चुनाव नहीं जीतते- दो विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव? कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और कम्युनिस्टों के गठबंधन को जनता कैसे पचा पाएगी? चुनाव में अंकगणित नहीं, जनता के साथ केमिस्ट्री काम करती है और मोदी जी इस केमिस्ट्री को अच्छे से जानते हैं।
पीएम मोदी ने ईस्टर और क्रिसमस के दौरान ईसाई समुदाय तक अपनी पहुंच में एक नयी राह बनाई। आप विपक्ष के इस आरोप पर

क्या प्रतिक्रिया देंगे कि मणिपुर मुद्दे का समाधान नहीं हुआ?
मणिपुर की घटना में एक अदालत के फैसले के कारण दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया, जो विभिन्न कारकों से और बढ़ गया। विपक्ष शांति को बढ़ावा देने के बजाय देश को बदनाम करने और संसद को बाधित करने के लिए अराजकता पैदा करने पर अधिक केंद्रित दिखाई दिया। मणिपुर का मामला अब अदालत में है और सुरक्षा बलों द्वारा संयम दिखाने से शांति स्थापित करने की दिशा में काफी प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री मोदी जी के कार्यकाल में पूर्वोत्तर में उग्रवाद और अलगाववाद में कमी देखी गई है, जिसका उदाहरण उग्रवादी समूहों के साथ हाल ही में हुए शांति समझौते हैं। प्रधानमंत्री सभी समुदायों के साथ जुड़ते हैं, देश के विकास में योगदान को बढ़ावा देते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में समर्थन जुटाते हैं। आठ पूर्वोत्तर राज्यों में से छह में सरकार की उपस्थिति, साथ ही गोवा के साथ-साथ केरल में वोट शेयर में वृद्धि, एक व्यापक और समावेशी जनादेश को दर्शाती है।

क्या पंजाब में अकाली दल के साथ गठबंधन करेंगे? यदि नहीं, तो पंजाब के लिए आपकी चुनावी रणनीति क्या है?
पिछला विधानसभा चुनाव हमारे लिए वरदान जैसा था। पहले हम सिर्फ 20-22 सीटों पर चुनाव लड़ते थे। पंजाब में बूथ स्तर पर हमारी उपस्थिति कम थी। पिछले विधानसभा चुनाव में हमने बूथ स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत की है और अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी की है। भाजपा ने ऐतिहासिक रूप से अकाली दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा है और हम सामूहिक विकास के लिए सहयोग में विश्वास रखते हैं। 2020 में अकाली दल ने गठबंधन तोड़ने का फैसला किया था, भाजपा ने नहीं। हालांकि, पार्टी भविष्य की परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेगी।

ईडी के दुरुपयोग और बदले की सियासत के आप के आरोपों पर आपका क्या कहना है?
यह सब पाखंड है। यदि विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच राजनीति से प्रेरित है तो संबंधित पार्टी के नेताओं को सत्र न्यायालय, हाईकोर्ट और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत क्यों नहीं मिल रही है? जो लोग ये कहते थे कि वे जेल जाने से नहीं डरते, वे आज जेल जाने के डर से ईडी के समन से भाग रहे हैं। शराब घोटाले के मामले में अदालत की टिप्पणियों से वित्तीय लेन-देन के सबूत सामने आए हैं। केजरीवाल सरकार के मोहल्ला क्लीनिक ‘भ्रष्टाचार क्लीनिक’ साबित हो रहे हैं।

भाजपा का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा क्या है?
हमारा एजेंडा विकसित भारत के साथ-साथ सुरक्षित भारत और सुरक्षित भारतीयों का विकास करना है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में अपने रिपोर्ट कार्ड और साढ़े नौ साल में देश की उपलब्धियों के आधार पर लोगों का आशीर्वाद लेने जा रहे हैं। हम ऐसे मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं कि क्या गरीबों के लिए बनाई योजनाएं आखिरी छोर पर अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही हैं। आपने देखा होगा कि जहां विपक्ष तुष्टीकरण की राजनीति कर रहा है, झूठे वादे कर रहा है; वोट पाने के लिए यात्राएं निकाल रहा है वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विकसित भारत संकल्प यात्रा सफलतापूर्वक चल रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर जनता का भरोसा हाल ही के विधानसभा चुनावों में देखने को मिला। भारतीय जनता पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड समृद्धि और विकास है, जबकि विपक्ष का इतिहास झूठे और अधूरे वादे करने का है।

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