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... हम जुर्म की दुनिया में ग़ज़ल लेके खड़े हैं

06:43 AM Jul 11, 2024 IST
    हम जुर्म की दुनिया में ग़ज़ल लेके खड़े हैं
कार्यक्रम में मौजूद विशिष्ट अतिथि। (दाएं) फैयाज फारुकी। - ट्रिन्यू
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चंडीगढ़, 10 जुलाई (ट्रिन्यू)
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ द्वारा बुधवार को अकादमी सभागार, पंचकूला में अपना दूसरा रूबरू कार्यक्रम आयोजित किया गया। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और प्रख्यात शायर फैयाज फारुकी से रूबरू गुफ्तगू का सिलसिला वरिष्ठ पत्रकार निरुपमा दत्त ने आगे बढ़ाया। एक पुलिस अधिकारी और शायरी के मेल पर पूछे गए सवाल के जवाब में फारुकी ने अपना शेर सुनाया, ‘हरेक बुराई का बदल लेके खड़े हैं, हम जुर्म की दुनिया में ़गज़ल लेके खड़े हैं।’
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि द ट्रिब्यून ग्रुप ऑफ न्यूजपेपर्स की एडिटर इन चीफ ज्योति मल्होत्रा, शायर फैयाज फारुकी तथा चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं सुश्री ज्योति मल्होत्रा ने उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा के संचालन में रूबरू कार्यक्रम को एक अनूठी पहल बताया। उन्होंने कहा कि भाषा के आधार पर विभाजक दीवारें समाप्त करना साहित्यकारों का दायित्व है और उन्हें खुशी है कि इन दीवारों को तोड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने पाठकों से अपील की कि हमारे समाचार पत्रों के लिए उनके सुझावों का स्वागत होगा और संवाद की खिड़कियां उनके लिए  खुली रहेंगी।
प्रख्यात शायर एवं सूफी फाउंडेशन के अध्यक्ष फैयाज फारुकी ने अपनी साहित्य की यात्रा के हवाले से बताया कि शायरी एक संवेदनशील और ईमानदार नागरिक का निर्माण करती है। पुलिस अधिकारी के रूप में शायरी मुझे यह सिखाती है कि एक मासूम और बेकसूर इंसान की हिफाजत करना भी मेरा धर्म है। शायरी इंसान को एक चिराग की तरह बनाती है ताकि उसके आसपास का समाज रोशन हो सके। यह अलग बात है कि आज के दौर में शायरी का भी व्यवसायीकरण हो गया है और उसकी गुणवत्ता में भी गिरावट महसूस होती है। अपराध के खिलाफ अपने संघर्ष में एक अच्छे पुलिस अधिकारी को तटस्थ तथा नेक दिल इंसान भी रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि सूफी फाउंडेशन के माध्यम से हमारा लक्ष्य समाज में प्यार, समरसता और सद्भावना का प्रसार करना है।
चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने विशेष संबोधन में साहित्य की भूमिका का अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में जिक्र किया। उन्होंने कहा कि साहित्य और पुलिस सेवा दो अलग-अलग धाराएं होते हुए भी इनका अंदर से गहरा नाता है। साहित्य हमें संवेदनशील और इंसाफ का पक्षधर होने की सीख देता है जो अपराध की लड़ाई में एक पुलिस अधिकारी का मार्गदर्शन करती है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चंद्र त्रिखा ने विश्वास दिलाया कि हरियाणा साहित्य संस्कृति अकादमी इस तरह के अनूठे कार्यक्रम आयोजित करती रहेगी। कार्यक्रम में चंडीगढ़, पंचकूला एवं जीरकपुर से अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने  भाग लिया।

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