पानी गुजर गया मगर छोड़ गया बर्बादी के निशान
सोनीपत, 18 जुलाई (हप्र)
यमुना में हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी तो आगे निकल गया। अब पानी उतरने पर बर्बादी के निशान साफ देखते जा सकते हैं। उफनती यमुना के पानी में करीब 9 हजार एकड़ फसल डूब गई थी। जिससे सब्जी व मक्का की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। अन्य फसलों में भी काफी नुकसान हुआ है। जल्द ही खेतों से पानी निकासी नहीं हुई तो फसलों में नुकसान बढ़ सकता है। अब यमुना का जलस्तर तीन मीटर तक कम होने से प्रशासन ने राहत की सांस ली है। हालांकि फिर से पहाड़ों में बारिश से किसानों को दोबारा पानी छोड़ने की चिंता सता रही है। बाकी प्रशासन की गिरदावरी की रिपोर्ट के बाद ही नुकसान की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
जिले में करीब 43 किमी की सीमा से गुजर रही यमुना में हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। अब यमुना में महज 60 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। जिससे कई दिन तक संकट झेल चुके यमुना के किनारे बसे 15 से अधिक गांवों के लोगों ने राहत की सांस ली। जलभराव के कारण काफी फसल बर्बाद होने का अंदेशा है। अनुमान के अनुसार यमुना के पानी में करीब 9 हजार एकड़ फसल डूब गई थी। जिसमें सब्जी व मक्का की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई और अन्य फसलों को भी काफी नुकसान है। अभी भी खेतों में पानी भरा हुआ है। जिसकी जल्द निकासी नहीं होने की स्थिति में यह फसल भी बर्बाद होने की आशंका है। वहीं डूबने से बर्बाद हुई फसलों की जानकारी के लिए जल्द गिरदावरी का काम शुरू हो जाएगा। वास्तविक स्थिति गिरदावरी के बाद ही पता चल सकेगी।
फिर से खेतों में जाने लगे लोग
यमुना में पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ के अंदेशे से लोगों को यमुना के पास जाने से रोक दिया गया था। हालांकि अब जलस्तर कम होने के बाद उन्होंने भी अपने खेतों का रुख कर दिया है। ग्रामीण डूबी फसलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। यमुना में जलस्तर अब 213 मीटर तक आ गया है। जबकि एक समय यह 216.4 मीटर तक पहुंच गया था। जिले में यमुना का जलस्तर 217 मीटर पर खतरे के निशान पर माना जाता है। किसानों की माने तो सब्जी की फसल में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। हालांकि अन्य फसल भी पानी के चलते काफी प्रभावित हुई हैं। अगर जल्द ही फसल में भरे पानी की निकासी नहीं हुई तो अन्य फसल भी बर्बाद होने का खतरा बना हुआ है। गन्ने को छोडक़र अन्य फसल को नुकसान हुआ है। खासकर गांव मनौली के पास मक्का की फसल खराब होने के कारण प्रगतिशील किसानों का नुकसान ज्यादा है। यमुना के खादर क्षेत्र में रेत खनन व कई किसानों के मिट्टी उठवाने के चलते उनके पड़ोसी किसानों के खेतों में कटाव हो गया। इसमें गांव नांदनौर, असदपुर, बड़ौली, बख्तावरपुर व अन्य कई गांवों के किसान प्रभावित हुए हैं। किसान महेंद्र, रणजीत और सुरेंद्र ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र में फिर से बारिश शुरू हो गई है। ऐसे में फिर से ज्यादा पानी आ गया तो वे बर्बाद हो जाएंगे।
''गिरदावरी के लिए पटवारी व कानूनगो यमुना के बाढ़ प्रभावित खेतों में नहीं जा पा रहे हैं। फिलहाल खेतों में पानी भरा हुआ है। इस कारण फसल के नुकसान का सटीक आंकलन नहीं लग पाया है।''
-हरिओम अत्री, जिला राजस्व अधिकारी, सोनीपत