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conservation of glaciers : जल विशेषज्ञों ने ग्लेशियरों और झरनों के संरक्षण पर दिया जोर

02:01 AM Mar 23, 2025 IST
conservation of glaciers   जल विशेषज्ञों ने ग्लेशियरों और झरनों के संरक्षण पर दिया जोर
फरीदाबाद में शनिवार को विश्व जल दिवस 2025 पर मानव रचना में जल विशेषज्ञ कार्यक्रम में उपस्थित। हप्र
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फरीदाबाद, 22 मार्च (हप्र) : मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ के सेंटर फॉर एडवांस्ड वॉटर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट ने वॉटर फॉर पीपल के सहयोग से विश्व जल दिवस के अवसर पर ग्लेशियर संरक्षण और सतत जल प्रबंधन पर एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस सम्मेलन में वैश्विक शोधकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और स्प्रिंगशेड प्रबंधन, जलवायु कार्यों के माध्यम से ग्लेशियर संरक्षण और भूजल संसाधनों के सतत प्रबंधन पर चर्चा की।

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conservation of glaciers-जल शोधकर्ता प्रोफेसर एलन फ्रायर रहे मुख्य वक्ता

कार्यक्रम में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ केंटकी के प्रसिद्ध जल शोधकर्ता प्रोफेसर एलन फ्रायर ने मुख्य वक्तव्य दिया, जिसमें उन्होंने झरनों के प्रबंधन और उनके ग्लेशियरों से संबंध पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। केंद्रीय भूजल बोर्ड, जल शक्ति मंत्रालय के सदस्य मुख्यालय, डॉ.ए. अशोकन और वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर इंडिया के वरिष्ठ निदेशक डॉ. सुरेश बाबू ने भारत में भूजल संसाधनों के उपयोगए नीति दृष्टिकोण, ग्लेशियरों की भूमिका और जल पर्यावरण व समुदाय से जुड़े विषयों पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम में प्रोफेसर एलन फ्रायर ने हिमालयी क्षेत्र के स्प्रिंग सिस्टम के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने शोध के आधार पर बताया कि स्प्रिंग सिस्टम में गर्मी और शरद ऋतु के दौरान प्रवाह में कमी देखी जा रही है। पीछे हटते ग्लेशियर और पिघलते जल स्त्रोत इसकी प्रमुख वजह हैं।

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भारत में जल संकट पर चिंता जताई

डॉ. साहा, चेयर प्रोफेसर और बोर्ड प्रेसिडेंट, वॉटर फॉर पीपल इंडिया ने भारत में जल संकट की बढ़ती चिंताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत के पास विश्व की कुल भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन इसकी जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 18 प्रतिशत है। ऐसे में, ताजे पानी की कमी भारत में एक बड़ी चुनौती बन रही है।

हिमालय से सटे गंगेटिक प्लेन्स में जलवायु परिवर्तन ग्लेशियरों को प्रभावित कर रहा है और इससे नदियों और जलभृतों एक्वीफर्स के प्रवाह में अनिश्चितता उत्पन्न हो रही है। इस स्थिति में तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

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