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कलसाना पावर हाउस में घुसा पानी, बिजली आपूर्ति बाधित

07:33 AM Aug 14, 2024 IST
कलसाना पावर हाउस में घुसा पानी  बिजली आपूर्ति बाधित
कलसाना पावर हाऊस कंट्रोल रूम में घुसा पानी। -निस

शाहाबाद मारकण्डा, 13 अगस्त (निस)
बीती सायं मारकंडा नदी में आया 33 हजार 588 क्यूसिक पानी अब उतरने लगा है और इस समय मारकंडा नदी में लगभग 22 हजार 833 क्यूसिक पानी बह रहा है। बाढ़ का यह पानी तबाही के निशान छोड़ गया है जहां पर बाजीगर कालोनी व एक गौशाला में पानी भर गया वहीं गांव कलसाना में स्थित पावर हाउस में पानी घुस जाने से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। अनेक गांवों की बिजली पूरी रात बंद रही। जे.ई. हेमंत कुमार ने बताया कि कलसाना फीडर में 6-6 फुट पानी खड़ा है तथा कंट्रोल रूम में भी 1 फुट पानी था लेकिन अब मात्र 6 इंच पानी रह गया है। आज सुबह जनरेटर का प्रबंध करके पानी की निकासी का कार्य शुरू हुआ। कई गांवों में पूरी रात बिजली आपूर्ति बाधित रही लेकिन जनता की समस्या को देखते हुए अधिकारी एक्शन में आए और उन्होंने आसपास के शाहाबाद फीडर व नलवी फीडर से संबंधित गांवों की बिजली जोड़कर आपूर्ति बहाल कर दी। वहीं गांव कठवा, कलसाना, मुगलमाजरा, तंगौर, मदनपुर, मोहनपुर, गुमटी व अरूप नगर भी इस पानी की चपेट में आए हैं। सबसे ज्यादा नुकसान गांव कठवा में है जहां स्कूल में पानी भरा है और फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी हैं। सड़कों पर पानी बह रहा है तथा बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। गेज रीडर रविंद्र ने बताया कि 1 बजे तक मारकंडा नदी में लगभग 22 हजार 833 क्यूसिक पानी बह रहा है जो कि खतरे के निशान से काफी नीचे है और लगातार पानी का जलस्तर कम हो रहा है। यदि पहाड़ों पर बरसात होती है तो पानी बढ़ सकता है। दूसरी ओर गौशाला तथा बाजीगर कालोनी में भी पानी घुस गया है। भारतीय किसान यूनियन के हलका कार्यकारी प्रधान जसबीर सिंह मामूमाजरा ने कहा कि मारकंडा के दो तटबंधों के अंदर आने वाली सारी भूमि लगभग एक हजार एकड़ फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। उन्होंने कहा कि फसल पर मिट्टी वाला पानी जम जाता है और आसमानी बरसात न होने के कारण फसल गल जाती है। उन्होंने बताया कि मारकंडा नदी का रेत करोड़ों रुपए में बिकता है जिससे सरकार को भारी राजस्व प्राप्त होता है लेकिन मारकंडा नदी के बीच सरकार की एक इंच भी भूमि नहीं है इसलिए सरकार तुरंत प्रभाव से खराब हुई फसलों की गिरदावरी करवाकर 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा किसानों को दे।

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