Water Crisis Row : पूर्व CM हुड्डा ने की BBMB अध्यक्ष को बंधक बनाने की निंदा, कहा- डैम से पंजाब पुलिस हटाकर तैनात की जाए सेंट्रल फोर्स
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 8 मई।
Water Crisis Row : हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के अध्यक्ष को बंधक बनाने की कोशिश और बीबीएमबी को लॉक लगाना निंदनीय, गैरकानूनी, असंवैधानिक और अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के जिस मंत्री ने यह काम किया है, उसे तुरंत बर्खास्त करना चाहिए। साथ ही, केंद्र सरकार को मामले का संज्ञान लेते हुए भाखड़ा डैम से पंजाब पुलिस को हटाकर, तुरंत सेंट्रल फॉर्सेज की तैनाती करनी चाहिए।
हुड्डा आज नई दिल्ली स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस मौके पर पूर्व मंत्री सुभाष बतरा व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चक्रवर्ती शर्मा भी उनके साथ मौजूद रहे। हम एक संघीय ढांचे का हिस्सा हैं। भाखड़ा और नांगल डैम केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट हैं। वहां पर तैनात तकनीकि कमेटी राज्यों को पानी के वितरण का फैसला लेती है। इसमें किसी की तानाशाही नहीं चल सकती। इसलिए हरियाणा किसी और के हिस्से का नहीं, बल्कि अपने हिस्से का पानी मांग रहा है।
उन्होंने कहा कि 1966 से लेकर आज तक कभी इस जल वितरण को लेकर विवाद नहीं हुआ। आखिर आज ऐसे हालात क्यों पैदा किए जा रहे हैं। क्योंकि पंजाब में चुनाव आने वाले हैं और आम आदमी पार्टी की सियासी जमीन खिसक चुकी है। इसलिए आप पार्टी पानी पर कोरी राजनीति कर रही है। हाईकोर्ट ने भी पंजाब सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह जल वितरण में दखलअंदाजी ना करे।
ऐसे में पंजाब सरकार कोर्ट के आदेशों की भी अवमानना कर रही है। ऐसे में हरियाणा सरकार को भी अपनी बात मजबूती से उठानी चाहिए। तुरंत केंद्र सरकार से दखल की मांग करते हुए इस विवाद को खत्म किया जाना चाहिए। विपक्ष हरियाणा हित के मसलों पर सरकार के साथ खड़ा है। प्रदेश सरकार को किसी तरह की कमजोरी नहीं दिखानी चाहिए। हम प्रदेश के हक का एक-एक बूंद पानी लेकर रहेंगे। पहले से ही एसवाईएल का निर्माण ना होने के चलते हरियाणा के अधिकारों पर कुठाराघात हो रहा है।
हुड्डा ने कहा कि ऊपर से जो पानी प्रदेश को मिल रहा है, उसपर भी अब संकट छा गया है। ऐसे में प्रदेश की आवाज को बुलंद करने की जरूरत है। हम किसानों व प्रदेश की जनता के हित में हरेक संघर्ष के लिए तैयार हैं। प्रदेश सरकार को तुरंत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को केंद्र सरकार से मिलवाना चाहिए।