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Waqf Amendment Bill: वक्फ संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट लोकसभा में पेश, विपक्ष का हंगामा

02:22 PM Feb 13, 2025 IST
waqf amendment bill  वक्फ संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट लोकसभा में पेश  विपक्ष का हंगामा
लोकसभा की कार्यवाही के दौरान अध्यक्ष बिरला। फोटो स्रोत संसद टीवी
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नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा)

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Waqf Amendment Bill: वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट बृहस्पतिवार को विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच लोकसभा के पटल पर रखी गई।

समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने रिपोर्ट को पटल पर रखा। इससे पहले, आज यह रिपोर्ट राज्यसभा के पटल पर भी रखी गई। संसद के वर्तमान बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन है।

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समिति की रिपोर्ट गत 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सौंपी गई थी। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद आठ अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था।

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विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।

वित्त मंत्री ने लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया और लोकसभा अध्यक्ष से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात फरवरी को नये आयकर विधेयक को मंजूरी दी थी, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा।

सदन में विधेयक पेश किए जाने का तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय समेत कुछ विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया। वित्त मंत्री ने सदस्यों की आपत्तियों के बीच विधेयक सदन में प्रस्तुत किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया।

नया विधेयक प्रत्यक्ष कर कानून को समझने में आसान बनाने और कोई नया कर बोझ नहीं लगाने की एक कवायद है। इसमें प्रावधान और स्पष्टीकरण या कठिन वाक्य नहीं होंगे। नए विधेयक की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को अपने बजट भाषण में की थी।

छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेने वाला नया आयकर विधेयक प्रत्यक्ष कर कानूनों को पढ़ने-समझने में आसान बनाएगा, अस्पष्टता दूर करेगा और मुकदमेबाजी को कम करेगा। नया अधिनियम उन सभी संशोधनों और धाराओं से मुक्त होगा जो अब प्रासंगिक नहीं हैं। साथ ही इसकी भाषा ऐसी होगी कि लोग इसे कर विशेषज्ञों की सहायता के बिना समझ सकेंगे।

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