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Waqf Amendment Act : सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ मामले में पारित किया अंतरिम आदेश, अगले आदेश तक बोर्ड में नहीं होगी कोई नियुक्ति

03:24 PM Apr 17, 2025 IST
waqf amendment act   सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ मामले में पारित किया अंतरिम आदेश  अगले आदेश तक बोर्ड में नहीं होगी कोई नियुक्ति
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नई दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा)

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Waqf Amendment Act : उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को बृहस्पतिवार को सात दिन का समय दिया। न्यायालय ने साथ ही यह भी कहा कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए।

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए, जिसके बाद अदालत ने उन्हें वक्त दिया। न्यायालय ने कहा कि मामले में इतनी सारी याचिकाओं पर विचार करना असंभव, केवल पांच पर ही सुनवाई होगी।

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याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को सुनवाई के दूसरे दिन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि यदि किसी वक्फ संपत्ति का पंजीकरण 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है तो उन संपत्तियों को नहीं छेड़ा जा सकता। वहीं, केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को आश्वासन दिया कि वह अगली सुनवाई तक 'वक्फ बाय डीड' और 'वक्फ बाय यूजर' को गैर-अधिसूचित नहीं करेगा।

सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच मई की तारीख तय की। केंद्र ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था, जिसे दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद संसद से पारित होने के पश्चात पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई।

राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 और विरोध में 95 सदस्यों ने मत दिया। वहीं, लोकसभा में इसके पक्ष में 288 तथा विरोध में 232 वोट पड़े। इस तरह यह दोनों सदनों से पारित हो गया था। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद की याचिकाओं सहित 72 याचिकाएं अधिनियम की वैधता को चुनौती देने के लिए दायर की गई हैं।

केंद्र ने आठ अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में एक ‘कैविएट' दायर कर मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की अपील की थी। किसी पक्ष द्वारा उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में यह सुनिश्चित करने के लिए ‘कैविएट' दायर की जाती है कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए।

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