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घर बैठे चाही कमाई, नादानी में सारी गंवाई

06:38 AM Jan 19, 2024 IST
घर बैठे चाही कमाई  नादानी में सारी गंवाई
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विनय कुमार पाठक

हंसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया है, कोई हमदर्द नहीं दर्द मेरा साया है...। हैं तो ये फिल्मी गानों के बोल पर इसके अंदर बहुत बड़ा फलसफा छिपा है। आज का जमाना डिजिटल हो गया है। आज इंसान हर काम डिजिटल तरीके से कर रहा है। अब तो बुद्धिमत्ता भी आर्टिफ़िशियल होने जा रहा है। और इस आर्टिफ़िशसल बुद्धिमत्ता के साथ डीप फेक और डार्क वेब के प्रभाव से कई नवोन्मेषी काम हो रहे हैं। जो नहीं हुआ है उसे भी हुआ बताया जा रहा है और जो हुआ है उस पर संदेह का परत चढ़ा कर दुविधा में डाल दिया जाता है कि कुछ हुआ भी था या नहीं। पहले घायल को अस्पताल ले जाया जाता था अब सबसे पहले विडियोग्राफी की जाती है। फिर सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है। आज हर हाथ में मोबाइल है और हर मोबाइल में कैमरा है जो न सिर्फ फोटोग्राफी कर सकता है बल्कि विडियोग्राफी भी कर सकता है। फिर मनुष्य कलाप्रेमी है कलापारखी है।
हंसने की चाह में रोने को डिजिटल क्रान्ति ने अलग तरीके से पेश किया है। घर बैठे मोटी कमाई की चाह में लोग घर बैठे मोटी गंवाई कर रहे हैं। ‘घर बैठे’ अपने आप में बड़ा ही प्यारा आकर्षण है क्योंकि घर से बाहर जाने में नदिया से दरिया, दरिया से सागर और सागर से गहरा जाम से भी बड़े जाम में फंसने का अंदेशा बना रहता है। वैसे जाम का अपना अलग ही महत्व होता है। एक ही स्थान पर सैकड़ों प्रकार की गाड़ियों को देखने का सुनहला अवसर मिल जाता है लोगों को। किसी को किसी कार मेला या प्रदर्शनी में जाने की जहमत नहीं उठानी पड़ती। जाम के इस खूबसूरत नजारा के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को कम से कम रखा गया है।
इस ‘घर बैठे’ के आकर्षण में वे भी फंसते हैं जो वास्तव में घर बैठे हुए होते हैं और वो भी जो दर-दर की ठोकरें खाते हैं काम की तलाश में या बेहतर काम की तलाश में। और ये घर बैठे काम देकर कमाई का प्रलोभन देने वाले काम भी ऐसा डिजिटल देते हैं जो आज के डिजिटल युग में हर आदमी को प्रिय है। यह काम होता है लाइक करने का; रिव्यू करने का। यानी न हींग लगे न फिटकरी और रंग आए चोखा। पर रंग चोखा आने के स्थान पर हो जाता है धोखा। अक्सर खबरें आती रहती हैं कि वेबसाइट रिव्यू का झांसा देकर ठगे इतने लाख। या लाइक का झांसा देकर ठगे इतने हजार। कुछ मामले करोड़ तक भी पहुंचे हैं।
वैसे कुछ ‘खिलाड़ियों में सुपर खिलाड़ी’ इन डिजिटल ठगों को भी ठग देते हैं। उनके बताए काम को कर लाभ ले लेते हैं और जब चारा फेंकने के बाद उन्हें जाल में फंसाने की कोशिश की जाती है तो वे इन डिजिटल ठगों को ब्लॉक कर मुंह ढककर सो जाते हैं।

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