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नये मेकअप में फिर छले जाएंगे वोटर

07:06 AM Mar 05, 2024 IST

आलोक पुराणिक

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चालू यूनिवर्सिटी ने लोकसभा चुनावों पर एक ललित निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिस प्रतियोगी को प्रथम पुरस्कार मिला, उसका निबंध इस प्रकार है :-
लोकसभा चुनाव सामने हैं, पुराने चेहरे के नये बनाव सामने हैं। नये ब्रेकअप दिख रहे हैं जी, नये मेकअप दिख रहे हैं। वो यहां से यहां आ लिये हैं जी, वो वहां से वहां जा लिये हैं। उन्होंने लाखों खा लिये हैं, जी उन्होंने सिर्फ लाख खाये, अरबों न खाकर करोड़ों बचा लिये हैं। उनके झंडे का रंग लाल था, अब भगवा हो गया है। जो हमारा खास बंदा था, जी वो तो अगवा हो गया है। अगवा हुआ नेता मिला उनकी पार्टी के दफ्तर में, उनकी पार्टी से टिकट लेने की भगदड़ में। मां को टिकट मिलेगा, बेटे का कटेगा, बेटे को मिलेगा, मां का कटेगा जी। किसी को न मिलेगा, दोनों का कटेगा। जी उम्मीद है कि उनका कोहरा छंटेगा। वो नेता जो बिदक गया था, शायद वो अब फिर पटेगा। उनकी सीटों का नंबर कुछ बढ़ेगा या घटेगा। पता नहीं जी। पता तो कुछ भी नहीं कि क्या होगा। वैसे पता लग भी जाये कि क्या होगा। पॉलिटिक्स में कुछ भी हो सकता है। कुछ क्या बहुत कुछ हो सकता है।
खैर, प्याज के भाव बढ़ गये हैं। नेताओं के भाव उनसे भी ज्यादा बढ़ गये हैं। प्याज और नेता में फर्क यह है कि प्याज आम आदमी के काम आ जाता है, यह बात नेताओं के बारे में नहीं कही जा सकती। सोने के साथ मसखरी हो रही है, अब सोने की नहीं, प्याज की तस्करी हो रही है। काश! नेताओं की तस्करी हो जाये। भारतीय नेता दुबई में पाया जाये। सारा बवाल सिर्फ इंडियन ही क्यों झेलें, कुछ दुबई वाले भी झेलें। यही तो ग्लोबलाइजेशन है।
वो आने वाले थे इस पार्टी में, आये नहीं। जी डील सैट न हो पाया था। जितनी उम्मीद कर रहे हैं, शायद उससे कम ही खा पायेंगे। खाना, पीना, इधर, उधर यह हम पॉलिटिक्स की बात कर रहे हैं या कुछ पिकनिक टाइप बात हो रही है। जी देश की पब्लिक लोकतंत्र के नाम पर रो रही है। पिकनिक है तो रिजार्ट का भी जिक्र है।
नेताओं के भाव पर चर्चा है। कमाने वाले नेता हैं, जनता के हिस्से बस खर्चा है। टीवी पर फिर किम जोंग के एटम बम की चर्चा है। जी कई चैनलों पर खबरों में सुख-चैन है, इंटरनेशनल फाइटिंग के लिए यूक्रेन है। चुनाव से बोर हों, तो यूक्रेन देख लें। आईपीएल भी बस आ ही गया है। कुल मिलाकर देश चल रहा है। करीब आठ प्रतिशत का विकास हुआ है जी अर्थव्यवस्था में, जो समर्थ हैं, वो अपना विकास एक सौ आठ प्रतिशत कर गये हैं।
खैर, पुराने नेताओं का नया भाव है, जी सामने चुनाव है।

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