नीलोखेड़ी के मतदाताओं ने पार्टी से ज्यादा आजाद प्रत्याशियों को दी तरजीह
सतीश जोशी/निस
नीलोखेड़ी, 1 सितंबर
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की तिथियां नजदीक आ रही हैं, त्यों त्यों विभिन्न पार्टियों के टिकार्थियों के दिलों की धड़कनें भी तेज होती जा रही हैं। अधिकांश टिकार्थी अपने-अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। यह नेता दिल्ली के साथ-2 हलके में भी अपने समर्थकों के सम्पर्क में हैं और समय निकालकर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर मंत्रणा भी कर लेते हैं, ताकि हलके में चल रही चुनावी हवाओं में उनके नाम की भी ‘हवा’ बनी रहे। यदि विस चुनावों के इतिहास की बात करें तो हलके के मतदाताओं ने किसी पार्टी की बजाय आजाद प्रत्याशियों पर ही भरोसा जताया है। अब तक हुए 13 विस चुनावों में 5 बार आजाद विधायकों ने ही जीत दर्ज की है। जनसंघ, कांग्रेस और इनेलो ने 2-2 बार, जनता पार्टी व भाजपा ने 1-1 बार जीत दर्ज की है। फिलहाल यहां से आजाद विधायक धर्मपाल गोेंदर हैं।
विदित हो कि 2014 में चली मोदी लहर में नीलोखेड़ी विस चुनावों में भगवान दास कबीरपंथी ने 34410 वोटों के बड़े अन्तर से जीतकर नीलोखेड़ी में पहली बार भाजपा का कमल खिलाया था। उन्होंने 58354 वोट हासिल करते हुए इनेलो प्रत्याशी मामुराम गोंदर को हराया था। 2019 में भाजपा टिकट न मिलने से धर्मपाल गोंदर ने आजाद चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। धर्मपाल गोंदर ने 42979 वोट प्राप्त कर भाजपा प्रत्याशी भगवदास कबीरपंथी को मात्र 2222 वोटों से पराजित कर विधानसभा में पहली बार प्रवेश पाया। 2019 चुनावों में भगवानदास कबीर पंथी ने 40757 वोट हासिल किए थे।