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भाजपा के इशारे पर ‘वोट काटू’ पार्टियां व आजाद उम्मीदवार मैदान में : दीपेंद्र

11:12 AM Sep 18, 2024 IST
हिसार में मंगलवार को आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते सांसद दीपेंद्र हुड्डा। -हप्र

हिसार, 17 सितंबर (हप्र)
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने मंगलवार को आदमपुर हलके की अनाज मंडी में कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस चुनाव में भाजपा के इशारे पर ‘वोट काटू’ पार्टियां व आजाद उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। भाजपा ने इनेलो, जजपा, हलोपा तीनों से ‘वोट काटू’ के रूप में समझौता कर लिया है। भाजपा ने बी-टीम बनाकर हरियाणा की जनता को फिर से धोखा देने की साजिश रची है। भाजपा जनभावना का सौदा करने वाली पार्टी है क्योंकि भाजपा, जजपा, इनेलो और हलोपा में कोई फर्क नहीं है और इनका सच सामने आ गया। इस अवसर पर सांसद जय प्रकाश जेपी भी मौजूद रहे।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पिछली बार 2019 के विधानसभा चुनाव में जब हलोपा के गोपाल कांडा ने भाजपा को समर्थन दिया था तो भाजपा ने उनकी छवि का हवाला देकर समर्थन नहीं लिया। इस बार उसी गोपाल कांडा के समर्थन में भाजपा ने अपना प्रत्याशी ही वापस ले लिया, ऐसा क्यों? उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से और जजपा, इनेलो का मुकाबला नोटा से होगा। उन्होंने कहा कि पिछली बार जजपा ने भाजपा को जमना पार कराने के नाम पर वोट मांगे, लेकिन जब समय आया तो वो अपने 10 विधायकों के साथ भाजपा के साथ जाकर बैठ गई। इसलिए अगर भाजपा को सत्ता से बाहर करना है तो कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताएं, आजाद या अन्य दलों के प्रत्याशियों का कोई भरोसा नहीं कि चुनाव के बाद वे कहां जाएंगे।
उन्होंने कहा कि हरियाणा 2014 तक प्रति व्यक्ति आय, निवेश, गरीबों के कल्याण की योजनाओं में, किसान की हितकारी योजनाओं में नंबर वन पर था और खुशहाली की तरफ जा रहा था। उस हरियाणा को भाजपा-जजपा ने बेरोजगारी, अपराध, भ्रष्टाचार, नशे में नंबर वन पर पहुंचा दिया। 10 साल में भाजपा सरकार ने प्रदेश को विकास की पटरी से उतार दिया। आज सड़कों में गड्ढे नहीं सड़कों में जोहड़ दिख रहे हैं, केवल होर्डिंग लगाने से विकास नहीं होता।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने बेरोजगारी, अपराध, भ्रष्टाचार में तो रिकार्ड बनाया ही, लोगों का अपमान करने और अहंकार में भी रिकार्ड बनाया है। ऐसा कोई वर्ग नहीं बचा जिसे इस सरकार ने अपमानित न किया हो। एक साल से ज्यादा समय तक किसान धरने पर बैठे रहे, मनरेगा मजदूर, खिलाड़ी, चौकीदार, कर्मचारी, सरपंच, महिलाएं, आशा वर्कर, बुजुर्ग और बच्चों तक को इस सरकार के खिलाफ सड़कों पर धरना देना पड़ा।

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