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वीजा धोखाधड़ी

12:36 PM Jun 28, 2023 IST

आज इंसान की धन पाने की लिप्सा कितनी विकराल हो चली है कि वह चंद रुपयों के लिये मासूम जिंदगियों से खिलवाड़ करने से भी गुरेज नहीं करता। कैसे-कैसे मां-बाप व रिश्तेदार कर्ज लेकर, सुनहरे सपनों को पूरा करने के लिये बच्चों को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजने का इंतजाम करते हैं। ऐसे बच्चों का पैसा लेकर भी उनके साथ धोखाधड़ी हो जाए तो इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा। भ्रष्ट एजेंट नहीं सोचते कि ये लड़के-लड़कियां प्रवासन कागजात फर्जी पाये जाने पर कहां जाएंगे, देश कैसे लौटेंगे? उनके सपनों का क्या होगा? हाल में ही जालंधर के एक ट्रैवल एजेंट की कनाडा में गिरफ्तारी कई राज़ खोलती है। एजेंट पर सैकड़ों छात्र-छात्राओं को फर्जी कॉलेज प्रवेश पत्र के आधार पर अध्ययन वीजा दिलाने में धोखाधड़ी का आरोप है। यह बात चौंकाती है कि उक्त एजेंट भी फर्जी कागजात के आधार पर कनाडा में घुसने की जुगत में था और उसके कर्मों का फल सामने आ गया। एजेंट की गिरफ्तारी के बाद उसे भारत वापस लाने व मुकदमा चलाने की कार्यवाही शुरू हो चुकी है। यह घटना उन तमाम भ्रष्ट एजेंटों के लिये भी एक सबक है जो फर्जी तरीके से लोगों को विदेश भेजने के कुत्सित प्रयासों में लगे हैं। उक्त एजेंट के खिलाफ गत 17 मार्च को जालंधर में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उसे लुकआउट सर्कुलर का भी सामना करना पड़ा। दरअसल, कनाडा सरकार पंजाब व कुछ अन्य राज्यों से अध्ययन वीजा के जरिये पढ़ने गये छात्र-छात्राओं के सर्टीफिकेट फर्जी पाये जाने के बाद उन्हें देश छोड़ने के लिये कह रही थी। जिसके खिलाफ भारतीय छात्रों ने आंदोलन किया। राजनीतिक दबाव के बाद कनाडा सरकार ने महसूस किया कि ये छात्र धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं। साथ ही सारे मामले की जांच के आदेश दिये गये हैं। विश्वास है कि मामले की वास्तविकता सामने आने के बाद संभवत: अध्ययन के लिये गये और नौकरी कर रहे युवाओं को देर -सवेर न्याय मिल सकेगा।

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दरअसल, पंजाब में कबूतरबाजी का लंबा इतिहास रहा है। बड़े नाम व कलाकार भी लोगों को फर्जी तरीके से विदेश भेजने की कोशिशों में लिप्त पाये गये। इस मामले में कई चर्चित लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं। लेकिन यह संभव नहीं कि सत्ता व तंत्र की काली भेड़ों की मिलीभगत के बिना अवैध प्रवासन का गोरखधंधा यूं ही बदस्तूर जारी रहे। कह सकते हैं कि नियामक संस्थाएं व निगरानी करने वाला तंत्र या तो आपराधिक लापरवाही में लिप्त है या फिर अपराधियों से सांठगांठ किये हुए है। किसी व्यक्ति को विदेश भेजने की प्रक्रिया खासी लंबी है और कई जगहों पर जांच की प्रक्रियाओं से गुजरती है। बिना किसी मिलीभगत के कोई आव्रजन एजेंट किसी व्यक्ति को विदेश भेज सके, यह संभव नहीं है। जाहिर है ऐसे मामलों की तह तक जाने की जरूरत है और दोषियों को ऐसा दंड दिया जाना चाहिए, जो फर्जीवाड़ा करने वालों के लिये नजीर का काम करे। दरअसल, कनाडा में जिन युवाओं के कागजातों को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं उनमें से अधिकांश वर्ष 2017 से 2019 के बीच कनाडा पहुंचे थे। स्थायी निवास के लिये उनके आवेदन के दौरान पता चला था कि उनके शैक्षणिक संस्थानों में उनके द्वारा जमा किये गये कागजात फर्जी थे। निस्संदेह, हमें फर्जी प्रमाण पत्रों के खुलासे के बाद विदेश जाने वाले लोगों के कागजात के प्रमाणन की पुख्ता व्यवस्था करनी होगी। इस घोटाले से मिले सबक पर विचार करना जरूरी है। हमें नियामक प्रक्रिया को तार्किक बनाने की जरूरत होगी। साथ ही विदेश जाकर पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों के अभिभावकों को चाहिए कि इस डिजिटल युग में शिक्षण संस्थानों की बुनियादी पृष्ठभूमि की जांच किये बिना किसी एजेंट या व्यक्ति को बड़ी रकम का भुगतान न करें। सत्ताधीशों के लिये भी यह एक चेतावनी देने वाला घटनाक्रम है कि क्यों देश की प्रतिभाएं पढ़ाई व नौकरी के लिये विदेश जाने की होड़ में शामिल हैं? क्यों हम अपने बच्चों को उन्नत शैक्षणिक पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। हमें ऐसे सख्त नियम-कानून बनाने होंगे जो अप्रवासन धोखाधड़ी का जोखिम कम कर सकें।

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