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विरेंद्र का फसल अवशेषों से पेलेट, ब्रिकेट्स बनाने का प्लांट बना दूसरे किसानों के लिये प्रेरणा

09:25 AM Jun 30, 2025 IST
विरेंद्र का फसल अवशेषों से पेलेट  ब्रिकेट्स बनाने का प्लांट बना दूसरे किसानों के लिये प्रेरणा
पानीपत के गांव निंबरी में किसान विरेंद्र पहलवान के प्लांट में मशीन के आगे पड़े हुए पेलेट्स। -हप्र
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बिजेंद्र सिंह/हप्र
पानीपत, 29 जून
फसल अवशेषों का प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। पहले अनेक किसान अपनी गेहूं व धान आदि की फसलों के अवशेषों को खेत में ही जला देते थे, लेकिन कृषि विभाग की फसल अवशेष प्रबंधन की स्कीमों के चलते पिछले कुछ सालों में प्रदेश में फसल अवशेषों के जलाने में कमी आई है।
विभाग किसानों को अपनी फसल के अवशेषों को रोटावेटर आदि से मिट्टी में मिलाने या बेलर मशीन से अवशेषों की गांठ बनवाने पर एक हजार प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देता था, जो अब बढ़ाकर 1200 रुपये की है।
पानीपत में पिछले वर्ष बेलरों से एक लाख एमटी गेहूं व धान आदि के अवशेषों की गांठें बनाई गई थीं। बेलरों द्वारा बनाई इन गांठों यानि वेस्ट कृषि अवशेषों से पेलेट्स व ब्रिकेट्स बनाने का प्लांट जिला के गांव निंबरी में एक प्रगतिशील किसान विरेंद्र पहलवान ने लगाया है। इस प्लांट में 16-18 एमएम के पेलेट और 70 व 90 एमएम के ब्रिकेट्स यानि गुल्ले बनते हैं। पेलेट व ब्रिकेट्स बायोमास ईंधन में आते हैं। दिल्ली एनसीआर में फैक्टरियों के बॉयलरों और थर्मल प्लांटों में कोयले के साथ जलाने के काम आते हैं। इस प्लांट में रोजाना 15-20 टन पेलेट व ब्रिकेट्स बनते हैं। इस प्लांट में बने पेलेट्स अभी थर्मल प्लांटों में जा रहे हैं। बता दें कि एनसीआर के थर्मल प्लांटों में कुछ प्रतिशत बायोमास ईंधन कोयले के साथ जलाना पड़ता है।
कृषि अवशेषों सेे बनने वाले पेलेट व ब्रिकेट्स एक तरह से लकड़ी व कोयले का विकल्प माना जाता है। विरेंद्र पहलवान द्वारा लगाये गये इस प्लांट को अनेक किसान देखने आते है।

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बॉयलर वाली फैक्टरियों में होना चाहिए पेलेट का प्रयोग : विरेंद्र पहलवान
पेलेट प्लांट के संचालक एवं प्रगतिशील किसान विरेंद्र पहलवान ने बताया कि कृषि की वेस्ट अवशेषों से पेलेट्स व ब्रिकेट्स बनाना लकडी व कोयले का बेस्ट विकल्प है। इससे लकड़ी के लिए जंगल कटने से बचेंगे और हम पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। किसानों को उनकी फसलों के अवशेषों का अच्छा दाम मिलेगा। विरेंद्र पहलवान ने कहा कि उनके सारे पेलेट्स की सप्लाई अभी थर्मल प्लांटों में हो रही है, लेकिन पानीपत की सैकड़ों डाइंग व प्रेस करने वाली फैक्टरियों में बॉयलर है। बॉयलर वाली इन फैक्टरियों में बायोमास फ्यूल के तौर पर पेलेट जलाया जा सकता है। सरकार को ध्यान देना चाहिए कि पानीपत इंडस्ट्री के बॉयलरों में पेलेट का प्रयोग हो।

कृषि विभाग के उप निदेशक बोले
कृषि विभाग के उप निदेशक डाॅ. आत्मा राम गोदारा व एएई डाॅ. सुधीर कुमार ने बताया कि फसल अवशेषों से पेलेट प्लांट लगाकर बायोमास फ्यूल के रूप में पेलेट व ब्रिकेट्स बनाना लकड़ी का एक अच्छा विकल्प है। इंडस्ट्री विभाग द्वारा यह प्लांट लगाने पर अनुदान भी दिया जाता है। फसल के अवशेषों का प्रबंधन करने में पेलेट प्लांट बहुत कारगर साबित होगा। इससे किसानों की फसलों के अवशेष अच्छे भाव पर बिकने से उनकी आमदनी बढ़ेगी और फसल अवशेषों के जलाने से पूरी से निजात मिलेगी।

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