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हिंदू संगठनों का शिमला के संजौली में उग्र प्रदर्शन

07:30 AM Sep 12, 2024 IST
हिंदू संगठनों का शिमला के संजौली में उग्र प्रदर्शन
शिमला में बुधवार को मस्जिद मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन करते लोग। -प्रेट्र
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ज्ञान ठाकुर/हप्र
शिमला, 11 सितंबर
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण मामले ने उग्र रूप ले लिया है। बुधवार को हिंदू संगठनों ने भारी पुलिस बंदोबस्त के बावजूद संजौली में दोतरफा विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस प्रदर्शनकारियों को थामने में विफल रही, जिसके चलते पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया फिर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का भी सहारा लिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई इस झड़प में 6 पुलिसकर्मियों के अलावा 6 प्रदर्शनकारी भी घायल हो गए।
पुलिस ने बड़ी संख्या में हिंदू संगठनों के नेताओं को गिरफ्तार भी कर लिया है। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। शिमला के एसपी संजीव गांधी ने 6 पुलिस कर्मियों और 6 प्रदर्शनकारियों के घायल होने की पुष्टि की है जबकि हिन्दू संगठनों ने दावा किया है कि उनके 15 कार्यकर्ता घायल हुए हैं।
संजौली अवैध मस्जिद निर्माण मामले में बुधवार को उस समय स्थिति पुलिस के नियंत्रण से बाहर हो गई, जब इस मस्जिद का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने संजौली की सीमा से बाहर रोकने का प्रयास किया। इस पर पहले ढली सुरंग पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई और प्रदर्शनकारी पुलिस के बैरिकेड तोड़कर मस्जिद के समीप पहुंच गए। ऐसी ही स्थिति संजौली चौक पर भी बनी। यहां भी प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के बैरिकेड तोड़ डाले और भीड़ ने मस्जिद की ओर बढ़ने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस इन्हें वहीं बलपूर्वक रोक लिया। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया।
संजौली में स्थिति उस समय और भी तनावपूर्ण हो गई, जब प्रदर्शनकारी मस्जिद से महज 100 मीटर की दूरी पर पहुंच गए। इन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी और जब प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे तो पुलिस को लाठीचार्ज और वाटर कैनन का सहारा लेना पड़ा।
हिंदू संगठनों के आज प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को देखते हुए जिला प्रशासन ने पूरे संजौली कस्बे में धारा 163 लागू की थी। इसके बावजूद स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इस धारा का उल्लंघन किया और हजारों की संख्या में विरोध के लिए पहुंचे। स्थिति को बिगड़ते देख प्रदेश पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा भी मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लेकर पुलिस को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए। शिमला के एसपी और डीसी पूरे प्रशासनिक अमले सहित दिनभर मौके पर डटे रहे।

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विरोध प्रदर्शन के चलते ठहरा जनजीवन

संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान यहां दिनभर जनजीवन ठहरा रहा और स्थानीय लोगों खासकर स्कूल और कालेज जाने वाले विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा। आज इस कस्बे में सभी स्कूलों और अन्य़ संस्थानों को खुला रखने के आदेश दिए थे, ताकि लोगों मं दहशत न फैले, लेकिन प्रशासन के इस फैसले के कारण स्कूल व कालेज पहुंचे विद्यार्थी जहां इन संस्थानों में ही दिनभर कैद होकर रह गए, वहीं अभिभावकों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ी।

माल रोड भी रहा बंद

विरोध प्रदर्शन के कारण स्थानीय लोगों का गुस्सा न भड़के, इसके चलते संजौली में दिनभर बिजली और ठप रही। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए स्थानीय व्यवसायियों नें दिनभर अपना कारोबार बंद रखा। उधर, संजौली में हिन्दू संगठनों के प्रदर्शन को देखते हुए मालरोड एसोसिएशन ने उनके समर्थन में एक घंटे के लिए अपनी दुकानों को बंद रखा। मालरोड एसोसिएशन ने शाम 4 बजे से 5 तक अपनी दुकानों के शटर को बंद कर दिया।

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आज बंद रहेगा शिमला

शिमला व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव ठाकुर ने संजौली मस्जिद विवाद और हिंदू प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज के विरोध में बृहस्पतिवार को शिमला में व्यापार बंद रखने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यह बंद सुबह से दोपहर एक बजे तक होगा। इस दौरान शहर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

लाठीचार्ज दुर्भाग्यपूर्ण : जयराम

पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बल प्रयोग करना, वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरे प्रकरण में सरकार द्वारा पहले दिन से ही पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की जा रही है।

14 साल में 45 बार सुनवाई, फिर भी फैसला नहीं

हिमाचल की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद का निर्माण वैध है अथवा अवैध, नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत 14 साल में भी इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। हालांकि वैध या अवैध की हकीकत तो फैसले के बाद ही सामने आएगी, मगर 2010 से नगर निगम के आयुक्त की अदालत में मामला विचाराधीन है। धार्मिक आस्था से जुड़े संवेदनशील मामले में 14 साल में 45 बार सुनवाई के बावजूद फैसला नहीं आया है।

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