फैक्टरी को बिजली सप्लाई करने पर गांव हलदाना के ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
समालखा, 16 जनवरी (निस)
खंड के हलदाना गांव में स्थित बिजली पावर हाउस के अधिकारियों पर ग्रामीणों का गुस्सा उस समय फूट पड़ा जब गांव की करीब छह साल पुरानी मांग तो पूरी नहीं की, लेकिन गन्नौर के गांव भाखरपुर में एक फैक्टरी को बिजली सप्लाई करने के लिए रातोंरात खंबे खड़े कर दिए।
मंगलवार को गांव के सैकड़ों लोगों ने एकत्रित होकर पावर हाउस पर जमकर हंगामा किया। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने अधिकारियों को मौके पर बुलाने के लिए पावर हाउस की सभी लाइनों को ब्रेकडाउन कर बंद कर दिया।
बिजली बंद होने पर अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद टूटी ओर जेई के माध्यम से ग्रामीणों को 8 दिन के अंदर उनकी समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे समाजसेवी जसदेव हलदाना, रामनिवास शर्मा, नवाब चौहान, रिषपाल छौक्कर, बिरम सिंह छौक्कर, नरेश, प्रवीन शर्मा, प्रदीप छौक्कर, लोकेश पंच ने जानकारी देते हुए बताया कि गांव हलदाना की पंचायत ने बिजली पावर हाउस बनाने के लिए ढाई एकड़ जमीन दी थी तो गांव को बिजली सप्लाई करने के लिए अलग लाइन बिछाने की मांग रखी गई थी। गांव वासी पिछले छह साल से अलग लाइन की मांग कर रहे हैं, जिसका एस्टीमेट बनने के बावजूद अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि गांव वासियों की मांग को दरकिनार कर बिजली विभाग गन्नौर के गांव भाखरपुर की एक फैक्टरी को बिजली सप्लाई पहुंचाने के लिए पिछले कई दिनों से बिजली के खंभे खड़े कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने बिजली अधिकारियों पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जमीन हमारी और बिजली फैक्टरी मालिक को, यह नहीं चलेगा।
उन्होंने कहा कि पावर हाउस के लिए जमीन दे रखी है और बदले में गांव को कोई सुविधा नहीं मिली। गांव की अलग लाइन का एस्टीमेट विभाग द्वारा लगभग छह साल से रद्दी की टोकरी में डाला हुआ है। मुख्य समस्या गांव की बिजली लाइन अलग करना है। ग्रामीण अधिकारियों को मौके पर बुलाने की ज़िद पर अंडे रहे। जब अधिकारी नहीं आये तो उन्होंने पावर हाउस की सभी लाइनों की बिजली बंद कर दी।
अधिकारियों का संदेश वाहक बनकर जेई संदीप धीमान मौके पर पहुंचे और संबधित मामले पर एसडीओ व एक्सईएन से ग्रामीणों की फोन पर बात कराई।
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के आठ दिन में समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया, जिस पर ग्रामीणों ने अधिकारियों की बात मानते हुए अधिकारियों को चेतावनी दी कि 8 दिन में उनकी समस्या हल नहीं हुई तो ग्रामीण बिजली पावर हाउस को चलने नहीं देंगे। इसके लिए ग्रामीणों ने बाकायदा एक कमेटी का गठन किया जो कार्रवाई न होने पर अगला निर्णय सभी ग्रामवासी मिलकर लेंगे।