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बहू विनेश के साथ गांव, मायके में कविता पर दुविधा

08:12 AM Sep 29, 2024 IST
बहू विनेश के साथ गांव  मायके में कविता पर दुविधा
यह है बखता खेड़ा गांव स्थित कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट के ससुराल का घर। - ट्रिन्यू
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
बखता खेड़ा, 28 सितंबर
जींद के जुलाना विधानसभा क्षेत्र के चुनावी नतीजों पर इस बारे पूरे देश की नजरें लगी हैं। ओलंपियन विनेश फोगाट और डब्ल्यूडब्ल्यूई की पहली महिला भारतीय पहलवान कविता दलाल के चुनावी रण में होने की वजह से यह प्रदेश की हॉट सीट बन चुकी है। जुलाना के बखता खेड़ा गांव में विनेश फोगाट का ससुराल है। वहीं, उत्तर प्रदेश के बागपत में शादीशुदा कविता दलाल का मायका मालवी गांव है।
बखताखेड़ा गांव के लोग राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर गांव की बहू के साथ एकजुट दिख रहे हैं। वहीं, मालवी अभी भी दुविधा में है। बेशक, गांव में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो गांव की बेटी कविता दलाल के साथ हैं, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है, जो इस बार के चुनाव में बहू की मदद करने के मूड में है। फोगाट गोत्र की विनेश के पति पहलवान सोमबीर, राठी गोत्र के हैं। जुलाना हलके में किसी प्रमुख राजनीतिक दल ने पहली बार राठी गोत्र में टिकट दिया है।

यह है बखता खेड़ा गांव स्थित कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट के ससुराल का घर। - ट्रिन्यू

1967 के पहले चुनाव से लेकर 2019 तक जुलाना हलके से जाट ही विधायक बनते रहे हैं। वैसे जुलाना को लोकदल का गढ़ भी कहा जाता रहा है और भाजपा इस सीट पर कभी खाता नहीं खोल पाई। ऐसे में इस बार भाजपा ने भी जुलाना में बैकवर्ड कार्ड खेलते हुए चुनावी मुकाबले को रोचक बनाने का काम किया है। कैप्टन योगेश बैरागी को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा गैर-जाट वोटरों के जरिये जुलाना के चुनावी समीकरण बदलना चाहती है।
वहीं, जुलाना से टिकट नहीं मिलने के बाद कांग्रेसी खुलकर विनेश का विरोध नहीं कर पा रहे हैं।
विनेश फोगाट की वजह से यह चुनाव इसलिए सुर्खियों में आया है, क्योंकि हालिया पेरिस ओलंपिक में विनेश महज 100 ग्राम अधिक वेट होने की वजह से ओलंपिक से अयोग्य घोषित कर दी गईं। इससे पहले भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण सिंह के खिलाफ दिल्ली में आंदोलन करने के दौरान विनेश चर्चाओं में आई थीं। बेशक, कुश्ती महासंघ का नया अध्यक्ष बनने के बाद मामला कुछ शांत भी हो गया था, लेकिन पेरिस ओलंपिक में विनेश के प्रदर्शन के बाद उनके प्रति लोगों में सहानुभूति बढ़ गई।
विनेश के राजनीति में आने को लेकर जुलाना हलके के बखता खेड़ा, मालवी, ब्राह्मणवास, झमौला, करेला आदि गांवों में अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन हर किसी का कहना है कि विनेश के चुनावी मैदान में आने से इस सीट पर कांग्रेस को मजबूती मिली है। बहुत कम बार कांग्रेस जुलाना में खाता खोल पाई है।
वर्ष 2000 और 2009 में जुलाना से कांग्रेस टिकट पर विधायक बने आईजी शेर सिंह के बाद कांग्रेस के लिए जुलाना की राजनीतिक जमीन सूखाग्रस्त ही रही। वर्तमान में इस सीट पर मुकाबला भी कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने का देखने को मिल रहा है।
बखता खेड़ा गांव में विनेश अब अपने पति के पुराने घर में ही रहती हैं। इससे पहले वह खरखौदा रहती थीं। नीले और सफेद दरवाजे और आसमानी रंग वाले इस घर को भी विनेश के नाम से जाना जाने लगा है। विनेश के ससुर राजपाल सिंह राठी शुरू से ही यहां रह रहे हैं। पुत्रवधू को टिकट मिलने के बाद वह भी चुनाव प्रचार में जुटे हैं। 1600-1700 मतदाताओं वाले इस जाट बहुल गांव में विनेश के प्रति सहानुभूति भी देखने को मिली। गांव के लोग कहते हैं- ‘हमारी बहू ओलंपिक में सोने के बिल्कुल नजदीक थी। उसे उसकी मेहनत का फल नहीं मिला। अब चुनाव में कसर पूरी कर देंगे।’
भाजपा ने इसलिए खेला बैकवर्ड कार्ड : जुलाना विधानसभा हलका बेशक जाट बहुल है, लेकिन यहां दूसरी जातियों की संख्या जाटों के मुकाबले अधिक है। जुलाना में एससी मतदाताओं के अलावा ब्राह्मण व बैडवर्क वोटर भी हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। भाजपा ने इसी को ध्यान में रखते हुए पिछड़ा वर्ग के कैप्टन योगेश बैरागी को टिकट दिया है। जाट कोटे से सुरेंद्र लाठर भाजपा टिकट के मजबूत दावेदार थे, लेकिन भाजपा ने नॉन-जाट कार्ड खेला। जींद जिले में ब्राह्मणों को रिझाने के लिए जुलाना कलां में देवेंद्र अत्री और सफीदों में रामकुमार गौतम को भी इसी सोच के साथ टिकट दिया।
2019 में जजपा को मिला था साथ : जुलाना को लोकदल का गढ़ इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि यहां से कई बार देवीलाल-चौटाला परिवार के टिकट पर विधायक बने। पिछले तीन चुनावों को ही देखें तो 2009 और 2014 में इनेलो के परमिंद्र सिंह ढुल जुलाना से विधायक बने। 2018 में इनेलो और चौटाला परिवार में हुए बिखराव के बाद जननायक जनता पार्टी (जजपा) अस्तित्व में आई। जजपा के टिकट पर जुलाना से अमरजीत सिंह ढांडा ने जीत हासिल की। अमरजीत सिंह ढांडा एक बार फिर जजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद बागी हुए सुरेंद्र सिंह लाठर अब इनेलो-बसपा गठबंधन टिकट पर जुलाना से चुनाव लड़ रहे हैं।

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गांव में बदला-बदला नज़ारा

मालवी : बखता खेड़ा से करीब सात किमी की दूरी पर ही डब्ल्यूडब्ल्यूई की महिला पहलवान और आम आदमी पार्टी (आप) की उम्मीदवार कविता दलाल का मालवी गांव है। यहां 4500 के लगभग मतदाता हैं। जाटों के अलावा दूसरी जातियों के मतदाता भी इस गांव में हैं। हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच ताश के पत्ते फेंकते हुए कृष्ण, देवेंद्र, राजा, धर्मबीर, जगदीश, युद्धबीर, रमेश, अशोक शर्मा, धर्मपाल, कर्मबीर, कलम सिंह जांगड़ा व ईश्वर सिंह आदि ने कहा, ‘बेशक, कविता दलाल गांव की बेटी है, लेकिन फिलहाल यहां बड़ी लड़ाई चल रही है। कविता दलाल की पार्टी का यहां वजूद नहीं है। गांव में बिजली-पानी उतने बड़े मुद्दे नहीं हैं, जितने इस बार राठी गोत्र में टिकट आने को बनाया जा रहा है।’ स्थिति यह है कि जाटों के दूसरे गोत्रों के लोगों को भी मनाया जा रहा है। समझाया जा रहा है। जुलाना में लाठर, ढुल, सहरावत, मलिक, ढांडा, अहलावत व कटारिया गोत्र के जाट विधायक बनते रहे हैं।

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