सतर्कता और रणनीति
भारत ने पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर व पाकिस्तान में सिर्फ आतंकी शिविरों तक सटीक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया था, जिसको लेकर गुरुवार को विपक्ष ने सरकार के साथ एकता और संकल्प का परिचय दिया। हालांकि, दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय तनाव कायम है। पाकिस्तान ने सभी कायदे कानून ताक पर रखकर नागरिकों व सार्वजनिक स्थलों को निशाना बनाना जारी रखा है। हालांकि, भारत ने मजूबत सुरक्षातंत्र के बूते अपने पंद्रह शहरों पर दागी गई लक्षित मिसाइलों को बेअसर कर दिया है। प्रतिक्रिया स्वरूप भारत ने पाक के कुछ सैन्य ठिकानों व लाहौर की प्रमुख वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक ने स्थिति की गंभीरता को ही रेखांकित किया। इस स्थिति को बेहद संवेदनशील बताते हुए उन्होंने संस्थागत तालमेल और नागरिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने पर बल दिया। दरअसल, इस स्थिति में सरकार की प्राथमिकताओं में नागरिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना, गलत सूचनाओं का मुकाबला करना और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा करना और किसी भी हमले का तत्परता से मुकाबला करना शामिल है। निस्संदेह, आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल और परिचालन में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये मंत्रालयों को निर्देश साइबर हमलों और गलत सूचना अभियानों सहित हाइब्रिड खतरों की एक गंभीर समझ को ही दर्शाता है। गुरुवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सर्वदलीय बैठक में विस्तृत जानकारी देना इस दिन का महत्वपूर्ण घटनाक्रम था। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में कम से कम सौ आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि की। विपक्ष खासकर कांग्रेस और एआईएमआईएम ने सराहनीय परिपक्वता दर्शायी। वे तमाम राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर राष्ट्रीय हितों के साथ खड़े नजर आए। राजनीतिक सहमति का यह दुर्लभ क्षण घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को एक सशक्त संदेश देता है। यह भी कि जब भी भारत की संप्रभुता को चुनौती मिलती है इसका राजनीतिक ताना-बाना और मजबूत होता है। जबकि, तनाव की तसवीर अभी डराने वाली हैं। जिसको हल्के में नहीं लिया जा सकता।
हालांकि, भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि उसका इरादा तनाव बढ़ाने का नहीं है। लेकिन जवाबी कार्रवाई के लिये पूरी तरह तैयार है। इसलिए रणनीतिक संयम को विश्वसनीय प्रतिरोध के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। निस्संदेह,अब सामरिक जीत से हटकर रणनीतिक स्थिरता पर जोर दिया जाना चाहिए। आने वाले दिनों में नागरिक सुरक्षा, कूटनीतिक संदेश और आंतरिक सुरक्षा पर लगातार ध्यान देने की आवश्यकता होगी। भारत को सुरक्षा प्राथमिकताओं से समझौता किए बिना वैश्विक भागीदारों को जानकारी देना जारी रखना चाहिए। साथ ही अपने नागरिकों से पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए। निस्संदेह, ऑपरेशन सिंदूर के जारी रहने के बावजूद, एकीकृत राजनीतिक रुख और संस्थागत सतर्कता बाहरी खतरों के सामने लोकतांत्रिक लचीलेपन का एक आदर्श प्रस्तुत करती है। इसके अतिरिक्त देश के सीमावर्ती इलाकों के ग्रामीण की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से बौखलाए पाकिस्तान ने हताशा में जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर मौत और विनाश का तांडव मचाया है। पुंछ सेक्टर में भारी गोलाबारी में 13 नागरिकों की जान चली गई। वहीं सीमावर्ती इलाके के गांवों में बड़ी संख्या में घर क्षतिग्रस्त हो गए। पाकिस्तान ने पहलगाम हमले के बाद उस संघर्ष विराम का उल्लंघन कर दिया है जिसे 2021 में नये सिरे से लागू किया गया था। पाकिस्तान सेना ने बेशर्मी से नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया है। जबकि भारतीय सेना ने अपनी जिम्मेदारी के साथ हमलों को पाकिस्तान और पीओके में आतंकी बुनियादी ढांचे के स्थलों तक ही सीमित रखा था। यह तय है कि भारत की सधी और नियंत्रित कार्रवाई ने पाक के साथ-साथ उसके क्षेत्र से संचालित होने वाले आतंकी संगठनों को हिलाकर रख दिया है। निस्संदेह, भारत ने पड़ोसी पाक को बता दिया है कि भारत आतंकवाद के प्रति शून्य साहिष्णुता रखता है, लेकिन साथ ही हमें एलओसी व सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही विस्थापित परिवारों की निकासी और अस्थायी पुनर्वास प्रशासन व सुरक्षा बलों की प्राथमिकता होनी चाहिए। पूरे देश को सीमावर्ती ग्रामीणों के साथ एकजुटता से खड़ा होना चाहिए, जो पाक की नापाक हरकतों के कारण पहले से कहीं अधिक असुरक्षित हैं। ये हमारे सुरक्षा बलों की आंख-कान के रूप में काम करते हैं।