महिलाओं के भरोसे वियतनाम का पर्यटन और संस्कृति
समीर चौधरी
‘जवानी नींद भर सोया’ कहावत उसकी दिनचर्या का हिस्सा न थी। लान मात्र 23 बरस की थी और सुबह 4 बजे ही उसने अपना बिस्तर छोड़ दिया था ताकि मेहमान-पर्यटकों के नाश्ते के लिए आने से पहले उनकी पसंद की चीज़ों को तैयार कर सके। चूंकि मैंने अतिरिक्त चाय पाउचों का आग्रह किया था तो उसने मुझे वियतनाम की चर्चित कॉफ़ी को ट्राई करने के लिए कहा और मैंने उसकी बात मान ली थी। उसने एक चम्मच गाढ़ा किया हुआ दूध रोबस्टा में फेंटा, डार्क चॉकलेट, अखरोट व कैरमल (चाश्ानी) के साथ। हालांकि गाढ़े दूध ने ही कमाल कर दिया था, लेकिन उसने सर्वश्रेष्ठ को अंत के लिए सुरक्षित रखा- सिल्क की तरह मुलायम अरेबिका, वैनिला व कैरमल के साथ। मैं तो इस वियतनामी कॉफ़ी का दीवाना हो गया।
भले ही फ्रेंच शासकों ने वियतनाम से कॉफ़ी का परिचय कराया हो, लेकिन आज वियतनाम कॉफ़ी बीन्स का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, महिलाओं ने इसे देसी बना लिया है और वह दही, नारियल दूध, अण्डों और हद तो यह है कि फलों के साथ उसे सर्व करती हैं। इससे किक इस लिहाज़ से मिलती है; क्योंकि महिलाएं कॉफ़ी को राइस वाइन, नमक व मक्खन के साथ रोस्ट करती हैं। गाढ़ा दूध का चलन मजबूरी में हुआ क्योंकि 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में युद्धों (पहले फ्रेंच साम्राज्यवाद से और फिर अमेरिका से) के दौरान ताज़े दूध की कमी पड़ गई थी। मेरे तनाव स्तर का लान ने लगभग ख़ुद ही अंदाज़ा लगा लिया था, इसलिए उसने मेरे लिए केंद्रीय वियतनाम के प्राचीन शहर होई अन में बम्बू (बांस) मसाज और लकड़ी के टब में जड़ी-बूटी युक्त स्नान बुक करा दिया था। आमतौर से यह सुविधा बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित रहती है, लेकिन लान ने मुझे बताया कि यह जोड़ों व मांसपेशियों के दर्द के लिए बहुत अच्छी होती है। लान ने यह भी बताया कि स्ट्रीट फूड्स के खोखों पर छोटे-साइज़ की कुर्सियों पर पालथी मारकर भोजन करना हाजमे के लिए बहुत अच्छा रहता है। वह हर अनुभव के लिए तर्क भी दे रही थी।
वियतनाम की पर्यटन अर्थव्यवस्था अकारण ही महिलाओं पर निर्भर नहीं है। वह खुशमिज़ाज, हाज़िर जवाब, स्मार्ट-सेल्सगर्ल और दोस्ताना स्वभाव की हैं। साथ ही वह महान क़िस्सागो (कहानी सुनाने वाली) भी हैं और उन सीक्रेट्स को शेयर करती हैं, जो गाइड बुक्स में नहीं हैं। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि वह कड़ी मेहनत करने वाली हैं। उन्होंने उस देश में समता हासिल की है, जिसने अलग दिशा में ले जाने वाले दृष्टिकोणों से मुक्त होकर नया जन्म लिया है। लेकिन उनका विशिष्ट गुण आत्मविश्वास और गर्व है।
हर महिला के पास बाइक है, परिवार की आय में आधा योगदान करती हैं और कोई छोटा व्यापार चलाती है। 18 से 80 साल तक की महिलाएं फ़ूड खोखा, कार्ट, कैफ़े, शॉप और बुटीक चलाती हैं। हां, अस्सी साल की महिलाएं! हनोई के पर्यटन ज़िले में होअन कीम झील के पास आधी रात में चहलकदमी करते हुए मुझे यह दांत रहित दादियां रसभरे फल, हाथ से बनी आइसक्रीम अपनी साइकिल कार्ट्स पर बेचती हुई मिलीं। उनकी दिल जीतने वाली मुस्कान मुफ्त में मिली, जबकि मैंने उनकी कार्ट पर से कुछ खरीदा भी नहीं था। सैलून मालिक सुबह 2 बजे तक सेवाएं प्रदान करती हैं और स्वयं फुट मसाज करती हैं।
हो ची मिंह सिटी में मैंने आधी रात की बाइक राइड के लिए महिला पायलट को चुना और हनोई में साइकिल-चालक महिला को क्योंकि शहर के गली-कूचों को वह ही अधिक जानती थीं। संस्कृति को महसूस करने और लोगों को समझने व जानने का यही सबसे अच्छा तरीका है। इसी प्रयास में मेरी मुलाक़ात परम्परागत कोनिकल हैट्स में उन महिलाओं से हुई जो अपनी नाव चलाती हुई ताज़ी सब्ज़ी व फल पास की ईटरी में ले जा रही थीं। मेकोंग पर बोट राइड या ट्रांगअन पर क्रूज बिना बोटवुमन के पूरी होती ही नहीं है। वह पानी को जलपरी से अधिक जानती हैं। वह कमज़ोर प्रतीत होने वाले अपने जिस्म के बावजूद अजेय हैं।
महिलाओं के इस जोश व हिम्मत का अधिक संबंध इतिहास से है। वियतनाम उन गिनती के दक्षिणपूर्व एशिया के देशों में से एक है जहां गौतम बुद्ध की नारी रूप की पूजा होती है। दानंग खाड़ी के टावर्स में लेडी बुद्ध की 67 मी. ऊंची मूर्ति है, जो कि रिओ में क्राइस्ट द रिडीमर से भी ऊंची है। वियतनाम में नारी बुद्ध की परम्परा शायद साम्राज्यवादियों के मदर मैरी विचार की प्रतिक्रिया में आरंभ हुई या हिन्दू चाम राज्य की वजह से भी ऐसा हो सकता है, जिसे एक किसान बेटी पोनागर ने चीन का विरोध करने के लिए स्थापित किया था। चाम में पवित्र देवी अपने हर रूप में है, सरस्वती को भी लक्ष्मी जितना ही स्थान मिला हुआ है। बहरहाल, आधुनिक वियतनामी महिला अमेरिका से युद्ध के दौरान आग में तपकर कुंदन बनी है।
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