संकल्प शक्ति से जीत
जापान के प्रसिद्ध सेनापति नोबुनागा अपने सैनिकों में संकल्प शक्ति भरने की अद्भुत महारथ रखते थे। एक बार उन्हें युद्ध में करारी हार मिली। तमाम सैनिकों में गहन निराशा व्याप्त हो गई। नोबुनागा तत्क्षण अपने सैनिकों को एक मंदिर में ले गया। वहां जाकर उसने सैनिकों से कहा, ‘देखो, मैं इस सिक्के को तीन बार उछालूंगा यदि सिक्का ज्यादा बार चित पड़ा तो जीत हमारी होगी। ऐसी सूरत में हम जमकर शत्रु का मुकाबला करेंगे।’ यह कहकर उसने सिक्का उछाला और संयोग से तीनों बार सिक्का चित पड़ा। सारे सैनिक खुशी से चिल्ला उठे, ‘जीत! जीत! अब हमारी जीत तय है।’ इस उच्चारण से सैनिकों में नई संकल्प शक्ति का संचार हुआ। तत्पश्चात उन्होंने संगठित होकर पूरे जोश के साथ शत्रु पर तीव्र आक्रमण किया और वे विजयी हुए। तब नोबुनागा ने कहा, ‘बहादुर सैनिकों, हमें यह जीत सिक्के के चित पड़ने के कारण नहीं, बल्कि तुम्हारे साहस और संकल्प के कारण मिली है।’
प्रस्तुति : राजकिशन नैन