न्यायपालिका पर निहित स्वार्थी समूह बना रहा दबाव
नयी दिल्ली, 28 मार्च (एजेंसी)
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत अनेक वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि एक निहित स्वार्थ वाला समूह ‘बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा’ के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है। 26 मार्च को लिखे गए पत्र में वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है और आरोप लगाया गया है कि वे दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से जजों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। पत्र को लिखने वाले करीब 600 वकीलों में आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला और स्वरूपमा चतुर्वेदी के नाम शामिल हैं।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के कई बड़े आपराधिक मामलों से निपट रही हैं। इन विपक्षी पार्टियों ने, जिनमें कुछ जाने-माने वकील भी शामिल हैं, ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हालिया गिरफ्तारी के खिलाफ हाथ मिलाया है। वकीलों ने कहा है कि इस समूह ने ‘बेंच फिक्सिंग’ की पूरी कहानी गढ़ी है जो न केवल अपमानजनक है बल्कि अदालतों के सम्मान और गरिमा पर आघात है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मजबूत बने रहने और अदालतों को इन कथित हमलों से बचाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया। पत्र में लिखा है, ‘चुप रहने या कुछ नहीं करने से अंतत: उन लोगों को ताकत मिल सकती है जो नुकसंान पहुंचाना चाहते हैं। यह चुप्पी बरतने का समय नहीं है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन समय में प्रधान न्यायाधीश का नेतृत्व अहम है।
धमकाना, धौंस दिखाना कांग्रेस की संस्कृति : मोदी
वकीलों की ओर से प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखे जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर निशाना साधा। इस पत्र की प्रति के साथ ‘एक्स’ पर की गयी एक पोस्ट को टैग करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘दूसरों को धमकाना और धौंस दिखाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। पांच दशक पहले ही उसने एक ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ का आह्वान किया था। वे बेशर्मी से अपने स्वार्थी हितों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से दूर रहते हैं।’ उन्होंने दावा किया, ‘कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें खारिज कर रहे हैं।’
मोदी की टिप्पणी ‘पाखंड की पराकाष्ठा’ : कांग्रेस
पत्र पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान को कांग्रेस ने ‘पाखंड की पराकाष्ठा’’ करार दिया। बृहस्पतिवार को पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘न्यायपालिका की रक्षा के नाम पर, न्यायपालिका पर हमले की साजिश रचने और इसमें समन्वय करने में प्रधानमंत्री की बेशर्मी पाखंड की पराकाष्ठा है। हाल के हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कई झटके दिए हैं। चुनावी बॉण्ड योजना तो इसका एक उदाहरण है।’