अंबेडकर के प्रति गृहमंत्री की टिप्पणी पर विभिन्न संगठनों ने जताया रोष
नारनौल, 18 दिसंबर (हप्र)
डा. भीमराव अंबेडकर के प्रति गृहमंत्री अमित शाह की कथित टिप्पणी के मामले में विभिन्न संगठनों ने सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के प्रधान चंदन सिंह जालवान की अध्यक्षता में संघर्ष समिति कार्यालय में बैठक कर रोष प्रकट किया और सामूहिक हस्ताक्षरयुक्त पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखकर ऐसी अवांछनीय टिप्पणियों पर रोक लगाने की मांग की।
बैठक का संचालन करते हुए संघर्ष समिति के महासचिव एवं कबीर सामाजिक उत्थान संस्था दिल्ली के प्रमुख सलाहकार बिरदी चंद गोठवाल ने बताया कि भारत वर्ष के संसदीय इतिहास में पहली बार देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर के नाम पर की गई अभद्र एवं अवांछनीय टिप्पणी - अब यह फैशन हो गया...अंबेडकर.. अंबेडकर.. अंबेडकर.. अंबेडकर.. अंबेडकर.. अंबेडकर..अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता, गृहमंत्री की सोच को
दर्शाता है।
अखिल भारतीय आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष लालाराम नाहर, गुरु रविदास महासभा के प्रधान बलबीर सिंह बबेरवाल, पूर्व डीजीएम व धानक समाज के महेंद्र खन्ना, कबीर सामाजिक उत्थान संस्था दिल्ली के प्यारेलाल चवन, भारतीय सामाजिक परिवर्तन संघ के सुमेर सिंह गोठवाल, संघर्ष समिति के सचिव हजारीलाल खटावला, पूर्व मैनेजर जयपाल सिंह व रामचंद्र गोठवाल आदि ने गृहमंत्री द्वारा की गई इस अभद्र टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर उच्च कोटि के विद्वान, विधिवेत्ता, समाजशास्त्री, राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और मानवीय एकता, समानता व समरसता के हितैषी थे। उनके द्वारा लिखित संविधान संसार भर में अद्वितीय है।
सारी दुनिया बाबा साहेब द्वारा रचित संविधान को श्रद्धापूर्वक नमन करती है और उनकी असामान्य प्रतिभा का लोहा मानती है। आज हम यदि तुलनात्मक दृष्टि से और निष्पक्ष दृष्टिकोण से परखते हैं तो बाबा साहेब द्वारा सृजित राष्ट्र ग्रंथ (संविधान) समय की कसौटी पर खरा उतरता है।