मेहनत की कमाई का मूल्य
एक धनाढ्य व्यक्ति का इकलौता पुत्र बिगड़ गया था। वह धन की परवाह नहीं करता था। पिता ने सोचा, पुत्र को सही रास्ते में लाना बहुत जरूरी है। एक दिन उसने पुत्र को बुलाया और 100 रुपये का नोट देकर कहा, ‘जाओ इसे कुएं में फेंक दो।’ बेटे ने वैसा ही किया। अगले दिन फिर पिता ने 100 रुपये का नोट दिया और बेटे को कुएं में फेंकने को कहा। तीन-चार दिन ऐसे ही चलता रहा। फिर एक दिन पुत्र ने पिता से खर्च के लिए पैसे मांगे तो उन्होंने कहा, ‘आज पैसे नहीं मिलेंगे, स्वयं कमाकर लाओ।’ पुत्र दिनभर मेहनत करके बमुश्किल 10 रुपये कमा पाया। वह पिता के पास कमाया हुआ पैसा लेकर गया तो पिता ने उसे कुएं में फेंकने के लिए कहा। पुत्र ने इसे फेंकने से इंकार कर दिया और बोला, ‘इतनी मेहनत से कमा कर लाया हूं और आप इसे फेंकने के लिए कह रहे हो।’ आज पुत्र मेहनत की कमाई का मूल्य जान गया था। मेहनत से जो प्राप्त होता है उसका आनंद ही अलग है। सहज से मिले धन में वो खुशी नहीं है।
प्रस्तुति : श्रीमती प्रवीण शर्मा