उर्दू ज़बान को किया जाएगा पुनर्जीवित : सोहल
09:01 AM Jun 10, 2025 IST
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समराला, 9 जून (निस)
भारत का एक हिस्सा कटकर पाकिस्तान बनने के साथ ही उर्दू ज़बान भी देशवासियों और विशेषकर उर्दू भाषा से प्रेम रखने वाले साहित्यकारों के लिए एक पराई भाषा बनकर रह गई। इसे मुसलमानों की भाषा समझकर एक तरह से देश से निष्कासित कर दिया गया। इसके चलते उर्दू प्रेमियों के लिए यह एक बहुत बड़ा आघात है। यह विचार आज यहां लेखक सभा रामपुर से संबंधित प्रसिद्ध ग़ज़लगो अमरिंदर सिंह सोहल ने कही। उन्होंने कहा कि अब पंजाब में उर्दू केवल मालेरकोटला के सीमित क्षेत्र तक ही सिमट कर रह गई है। उर्दू भाषा के पुनर्जीवन के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि लेखक सभा रामपुर की लाइब्रेरी में उर्दू सीखने के इच्छुक लोगों के लिए 12 जून से निःशुल्क कक्षाएं शुरू की जा रही हैं।
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