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नगर निगम की बैठक में हंगामा, 30 मिनट में ही स्थगित

11:10 AM Oct 23, 2024 IST
नगर निगम की बैठक में हंगामा  30 मिनट में ही स्थगित
चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप कुमार मंगलवार को नगर निगम सदन की विशेष बैठक की अध्यक्षता करते हुए। -प्रदीप तिवारी
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मनीमाजरा (चंडीगढ़), 22 अक्तूबर (हप्र)
चंडीगढ़ नगर निगम की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए मंगलवार को बुलाई गई सदन की विशेष बैठक भी असफल रही। इसमें नए निगम आयुक्त अमित कुमार भी पहुंचे। बैठक में निगम के खर्चों पर विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद थी, लेकिन काफी देर हंगामा होने के चलते करीब 30 मिनट में ही बैठक को स्थगित कर दिया गया। हालांकि बैठक का मुख्य फोकस राजस्व बढ़ाने पर था, जिस पर पार्षदों से सुझाव मांगे गये लेकिन पार्षदों ने एक-दूसरे की बात काटनी शुरू कर दी और मामला बिगड़ता चला गया। इसके बाद मेयर ने बैठक को स्थगित कर दिया। ध्यान रहे कि नगर निगम पिछले काफी समय से वित्तीय संकट से जूझ रहा है। पैसे नहीं होने की वजह से विकास कार्यों के काम रुके हुए हैं। सिर्फ इमरजेंसी नेचर के कार्यों के टेंडर ही लग रहे हैं। वार्ड के छोटे-छोटे कामों के टेंडर भी पैसों की कमी की वजह से रुके हुए हैं। इसे लेकर पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने भी 24 अक्तूबर को बैठक बुलाई है।

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200 करोड़ का घाटा, कर्मचारियों को वेतन देना हो जाएगा मुश्किल

मेयर कुलदीप कुमार ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए निगम का कुल खर्च करीब 1110 करोड़ रुपये है लेकिन खुद की कमाई और प्रशासन से मिले ग्रांट से कुल करीब 910 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सकेंगे। करीब 200 करोड़ का घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर ये 200 करोड़ निगम को नहीं मिले तो कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो जाएगा।

करीब 150 करोड़ के विकास कार्य रुके

बैठक में निगम की खाली पड़ी संपत्तियों की नीलामी, फिजूलखर्ची, संपत्ति कर, पानी का बिल समेत अन्य माध्यम से आने वाले राजस्व पर चर्चा की उम्मीद थी। नगर निगम ने अपने तमाम खर्चों और कमाई के स्रोत का लेखा-जोखा तैयार किया है, जो बैठक में प्रशासक के सामने रखा जाना था। फंड की कमी के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद थी। नगर निगम के वित्तीय संकट का आलम यह है कि वार्डों के छोटे-छोटे कामों के लिए भी नगर निगम के पास पैसे नहीं हैं। करीब 150 करोड़ रुपये के विकास कार्य रुके हुए हैं। ये वे विकास कार्य हैं जो पिछले साल सदन की बैठक में मंजूर हो चुके हैं।

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