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Uproar in Rajya Sabha: धनखड़ को पद से हटाने के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा, कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित

01:00 PM Dec 13, 2024 IST
uproar in rajya sabha  धनखड़ को पद से हटाने के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा  कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित
राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सभापति जगदीप धनखड़। फोटो स्रोत एक्स अकाउंट संसद टीवी
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नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा)

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Uproar in Rajya Sabha: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने संबंधी प्रस्ताव के मुद्दे पर शुक्रवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का जोरदार दौर चला, जिसके कारण हुए भारी हंगामे के बाद उच्च सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

सुबह सदन की बैठक आरंभ होने पर सदन ने साल 2001 में संसद पर हुए हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बनने पर भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश को बधाई दी। इसके बाद सभापति धनखड़ ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत कुल चार नोटिस मिले हैं।

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उन्होंने कहा कि सदस्यों को मंथन करना चाहिए कि विगत 30 सालों में इस नियम के तहत कितने नोटिस दिए गए और कितने स्वीकार किए गए। उन्होंने कहा कि उनके अब तक के कार्यकाल में नियम 267 के तहत रिकार्ड नोटिस दिए गए हैं।

इसी बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राधामोहन दास ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए सभापति धनखड़ को पद से हटाए जाने के प्रस्ताव संबंधी विपक्षी दलों के नोटिस का उल्लेख किया और कहा कि वह 20 साल उत्तर प्रदेश में विधायक रहे हैं लेकिन जो स्थिति आज वह राज्यसभा में देख रहे हैं, वैसी स्थिति विधानसभा में भी कभी नहीं रही। अग्रवाल जब अपनी बात रख रहे थे तब विपक्षी सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताते हुए हंगामा शुरु कर दिया।

उन्होंने कहा कि विपक्ष को सभापति को हटाने के लिए नोटिस देने का अधिकार है लेकिन उसकी एक प्रक्रिया है। उन्होंने विपक्षी दलों पर इस प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप लगाया और कहा कि नोटिस स्वीकार किए जाने की 14 दिन की अवधि का इंतजार किए बगैर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सभापति के खिलाफ मीडिया में जाकर ‘घटिया' आरोप लगा दिए।

उन्होंने कांग्रेस पर उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का हमेशा अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के अपमान का कोई मौका नहीं छोड़ा। उन्होंने सभापति के खिलाफ दिए गए नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई करने की मांग की।

अग्रवाल के बाद सभापति ने भाजपा के सुरेंद्र सिंह नागर, नीरज शेखर और किरण चौधरी के नाम पुकारे। तीनों ने सभापति के किसान और अन्य पिछड़ा वर्ग से होने की पृष्ठभूमि का उल्लेख किया और कांग्रेस पर इन समुदायों का विरोधी होने का आरोप लगाया। इन सदस्यों ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर भी निशाना साधा।

इसके बाद सभापति ने कांग्रेस के प्रमोद तिवारी को बोलने का अवसर दिया। भारी हंगामे के बीच तिवारी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि नेता प्रतिपक्ष दलित समुदाय से ही नहीं बल्कि किसान परिवार से भी आते हैं। हंगामे के कारण उनकी बात नहीं सुनी जा सकी। इसी बीच, धनखड़ ने कहा कि वह किसान के बेटे हैं और कमजोर नहीं पड़ेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘देश के लिए मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा लेकिन कभी कमजोर नहीं पडूंगा। किसान का बेटा हूं।'' धनखड़ ने विपक्षी दलों से अपने व्यवहार पर मंथन करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘मैंने बहुत बर्दाश्त किया है।'' उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य उनके खिलाफ प्रस्ताव लेकर आए और यह उनका अधिकार है लेकिन विपक्षी सदस्यों ने नोटिस स्वीकार किए जाने से पहले ही उनके खिलाफ मुहिम चला दी। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष से उनसे मिलने का अनुरोध भी किया।

इस दौरान, सदन में हंगामा और तेज हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर शोरगुल करने लगे। हंगामे के बीच ही सभापति ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने का अवसर दिया।

खड़गे ने सभापति पर आरोप लगाया कि वह सत्ता पक्ष के लोगों को बोलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हर आदमी उठ-उठ कर 5 से 10 मिनट बोल रहा है...आप किसान के बेटे हैं तो मैं किसान मजदूर का बेटा हूं।''

खड़गे ने आसन पर कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं को अपमानित करने का भी आरोप लगाया। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि जो भाजपा आज किसानों की बात कर रही है, उसके हाथ 750 किसानों के खून से रंगे हैं। इस दौरान, हंगामा और तेज हो गया।

इसके बाद सभापति धनखड़ ने हंगामा कर रहे सदस्यों से व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। इसका जब कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष को अपने कक्ष में मिलने के लिए बुलाया। इसके बाद, 11 बज कर 50 मिनट पर उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।

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