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विचारधाराओं के साथ अबूझे रहस्यों का खुलासा

07:30 AM Sep 05, 2021 IST

ज्ञाानेन्द्र रावत

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‘दस विचारधाराएं’ नामक पुस्तक मूलतः दो भागों में विभक्त है। एक भाग में हैं चार महान आंदोलन और दूसरे भाग में दस विचारधाराएं यथा-राष्ट्र्वाद, प्रजातंत्र, उदारतावाद, पूंजीवाद, विकासवादी समाजवाद, क्रांतिवादी समाजवाद, नारीवाद, पर्यावरणवाद, नाभिकीय शांतिवाद, सार्वभौमवाद और महाविषमता को अपने आप में समेटे हुए है।

पुस्तक का प्राक्कथन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र प्रख्यात विचारक गोपाल कृष्ण गांधी जी ने लिखा है। उसमें उन्होंने वाद की उत्पत्ति का अनेक संदर्भों-प्रयोगों सहित विवेचन किया है। पुस्तक के अपने प्राक्कथन के प्रारंभ में ही गांधी ने स्पष्ट किया है कि वाद ऐसा प्रत्यय है जो आसानी से समझ में नहीं आता। शब्दांत के रूप में इतना चतुराई पूर्ण और अवशेषी है कि परहितवाद, नग्नवाद अथवा शून्यवाद की तरह आसानी से छोड़ा जा सकता है। वह जिस शब्द से जुड़ता है, वाद मानव-पुच्छ-अस्थि की तरह अपने में विलुप्त हो जाता है। वह होता है, पर हमें दिखाई नहीं देता।

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यह पुस्तक उन चार महान आंदोलनों का विवेचनापरक अध्ययन प्रस्तुत करती है, जिन्होंने औद्यौगिक क्रांति की आधारशिला रखी, पुनर्जागरण, मानवतावाद, धर्म सुधार और वैज्ञानिक क्रांति। यही नहीं, इसमें यह भी परिलक्षित होता है कि इन चार आंदोलनों को भारत ही नहीं, चीन और पश्चिम एशिया की विरासतों से बहुत बड़ी मात्रा में संवेग मिला। यह बात दीगर है कि वर्तमान युग में विचारधारा का सवाल भले ही गौण रह गया हो, वह अप्रासंगिक भी होता जा रहा है।

दस विचारधाराओं में लेखक एस. जयपाल रेड्डी का निश्चित ही अपने राजनीतिक-सामाजिक जीवन के पांच दशकों के अनुभव का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। विचारों की संपुष्टि के लिए लेखक ने विश्व की महान विभूतियों, विचारकों, प्रख्यात दार्शनिकों, समाज विज्ञानियों यथा-अब्राहम लिंकन, टामस जैफरसन, मांटेस्क्यू, टायनबी, समरवैल, डाण्टे, फ्रेजर, एडवर्ड गिबन, फ्रांसिस्को पेटार्क, इरैसमस, टामसकोट, वाल्टेयर, जॉन लॉक, बर्टेण्ड रसेल, पेरीक्लीज, सीईएम जोड, रोजा लक्जमबर्ग, आगस्ट ब्लांकी, मार्क्स, हो ची मिन्ह, माओत्से तुंग, मिल आदि के मतों का भी उल्लेख किया है, उद्धरण पुस्तक को सारगर्भित तो बनाते ही हैं, उसकी महत्ता को भी स्थापित करने में प्रमुख भूमिका भी निभाते हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि लेखक ने शांति के साथ-साथ वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी और ज्वलंत समस्या पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं को भी अपनी लेखनी से इंगित करने का काम किया है, जिसके दुष्प्रभावों से समूची दुनिया न केवल चिंतित है बल्कि पर्यावरण प्रदूषण के चलते मानव जीवन अंधकारमय होता जा रहा है। यह पुस्तक विचारधाराओं के विस्तृत विवरण के साथ-साथ औद्यौगिक काल के अनजाने-अबूझे रहस्यों-जानकारियों का भी लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है। लेखक ने पुस्तक में गहन, विशद विषयों पर अपनी लेखनी के माध्यम से गागर में सागर भरने का महती कार्य किया है।

पुस्तक : दस विचारधाराएं लेखक : एस. जयपाल रेड्डी प्राक्कथन : गोपाल कृष्ण गांधी अनुवादक : डॉ. रमेश चंद्र शर्मा प्रकाशक : यश पब्लिकेशंस, दिल्ली पृष्ठ : 256 मूल्य : रु. 375.

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