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जीवनसंगिनी के मन का मौसम भी समझें

06:59 AM Oct 15, 2024 IST
जीवनसंगिनी के मन का मौसम भी समझें
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डॉ. मोनिका शर्मा
विवाहित स्त्रियों के लिए करवा चौथ का उपवास-अनुष्ठान अपने जीवनसाथी और परिवार की कुशलकामना से जुड़ा है। पूजन-अर्चन हो या आम जीवन, महिलाओं के लिए अपनों का सुख सर्वोपरि होता है। विशेषकर जीवनसाथी के मनोभावों को समझने और मान देने का मुखर भाव दिखता है। ऐसे में जरूरी है कि जीवनसाथी भी उनके मन का मौसम समझें। करवा चौथ पर्व के परंपरागत रीति-रिवाज में पति भी पत्नी के लिए मान-मनुहार का व्यावहारिक रंग-ढंग जोड़ें। जीवनसंगिनी के साथ को अहमियत देने की सहज स्वीकार्यता आपके भी भाव-चाव में दिखती रहे। सराहना शब्दों में ढले और साथ होने का बर्ताव हावभाव का हिस्सा बन जाए। परम्परागत जीवनशैली का आधार लिए शादी के रिश्ते में समयानुसार ढलते जीवन से जुड़े स्नेह और सहजता का होना मनोभावों की डोर मजबूती से बांधे रखता है।

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मान-सम्मान का उपहार

पत्नी को मान देने या मनुहार करने को केवल उपहार देने तक मत समेटिए। आज की बदली हुई भूमिका के दौर में स्त्रियों के लिए महंगे गिफ्ट से कहीं ज्यादा अहमियत उनके मन की बात समझने की है। असल में अपनी जीवनसंगिनी को सम्मान देने से बढ़कर कोई सौगात नहीं। कहा भी जाता है कि जो इंसान किसी अपने का सम्मान करता है, वह उसकी मौजूदगी और भावनाओं के मायने समझता है। वैवाहिक जीवन में दोनों के लिए ही एक-दूसरे का साथ-स्नेह अनमोल है पर जीवन की आपाधापी में भावनाएं कहीं गुम हो जाती हैं। कभी-कभी तो दोनों ही एक-दूजे के प्रति भावहीन हो जाते हैं। ऐसे में किसी एक को लगने लगता है कि लाइफ पार्टनर के लिए उसका अस्तित्व कोई मायने नहीं रखता। जिंदगी की साझी जद्दोजहद में उसकी भागीदारी के लिए प्रशंसा की भावना ही नहीं। हमारे पारिवारिक परिवेश में महिलाएं इन हालातों से ज्यादा जूझती हैं। ऐसे में करवा चौथ का पर्व पत्नी के स्नेह और समर्पण को याद रखने का भी त्योहार है। आप भी अपनी जीवन संगिनी की हर भागीदारी को सराहना का भाव रखिए। करीबी अपनों से लेकर अतिथियों तक, सभी के स्वागत-सत्कार को प्राथमिकता देने वाली जीवनसंगिनी को भी मान-मनुहार की दरकार होती है। इस पर्व पर जीवनसाथी से सराहना और संबल मिलना उनके जीवन में प्रेम और उष्मा लौटा लाता है। यों भी त्योहार स्त्री मन को गहराई से प्रभावित करते हैं। मन में उल्लास जगाते हैं। खासकर करवा चौथ जैसे त्योहार जिनसे रिश्तों को पोषण मिलता है। अहसासों से भरे इस रिश्ते को स्नेह और सराहना के भावों से सींचने की ज़िम्मेदारी आप भी उठाएं।

मन तोड़ते या जोड़ते हैं शब्द

आपसी संवाद का सधापन वैवाहिक जीवन के लिए बेहद आवश्यक है। हमारे यहां तो आम बातचीत में भी शादी कभी मजाक का विषय माना जाता है तो कभी गम्भीरता से सोचने वाला संबंध। हां, यह साझा सफर आसान नहीं है। इस यात्रा में संवाद की अति या कमी दोनों ही बिगाड़ का कारण बन जाते हैं। आमतौर पर बातचीत के मोर्चे पर मर्यादित बने रहने की ज़िम्मेदारी महिलाओं के हिस्से ही मान ली जाती है। जबकि जीवनसाथी के लिए भी संयमित ढंग से अपनी बात कहना आवश्यक है। घर-परिवार की खुशहाली और आपसी स्नेह इसी समझ से बल पाता है। आजकल वैवाहिक जीवन में संवाद की कमी भी उलझनों का कारण है और मनचाहा-अनचाहा कुछ कह देने का बर्ताव भी। मन की कहने-सुनने का समय ही न निकाला जाए तो वैवाहिक रिश्ता बिखरने लगता है। साथ ही अपमानजनक टीका-टिप्पणियां भी दूरियां ले आती हैं। यह अकेला ऐसा रिश्ता है जो अपने भीतर कई रंग समेटे है। ऐसे में पत्नी के मन की भी सुनें और समझें। उनके लिए समय निकालें। वैसे भी करवा चौथ का पर्व आस्था और विश्वास से ही जुड़ा है। इस भरोसे को आपसी संवाद ही पोषित करता है। जीवन में कोई भी परिस्थिति आये अगर एक-दूसरे के भावों और विचारों को समझ सकें तो वैवाहिक जीवन में कभी बिखराव नहीं आता। उत्सवीय रौनक में पति भी इस बात का खयाल रखे।

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साझेपन का मान

हमारे पारंपरिक संस्कारों में करवा चौथ जैसे पर्वों को इसीलिए स्थान दिया गया है कि वे संबंधों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकें। साथ देने, साथ चलने के भाव का स्मरण करवाते रहें। वैवाहिक रिश्ते को स्नेह पूरित रखने के लिए इस साझेपन का मान और भान आवश्यक है। जिस तरह एक पत्नी, पति की भावनाओं का सम्मान करती है। घर की सभी जिम्मेदारियों को पूरा करती है। उसी तरह पति को भी चाहिए कि पत्नी की भावनाओं का सम्मान करने की सोच अपनाए। यह त्योहार पति-पत्नी के रिश्ते को नई ऊर्जा से सींचने वाला पर्व है। खुशहाल दाम्पत्य की कामना का यह पर्व याद दिलाता है कि जीवनसाथी भी जिम्मेदारियों से जूझती अपनी जीवन संगिनी के प्रेम और समर्पण के प्रति मान का भाव रखें। पत्नी की काबिलियत को सराहें। उसके लक्ष्य तक पहुंचने और आगे बढ़ने में उसकी मदद करें। उसके विचारों का मान करें और जीवन से जुड़े मामलों में उसकी राय लें। यह व्यवहार आपसी समझ को पक्का आधार देता है। पति, उस सोच से दूर रहें जो पत्नी के प्रति प्रेम व्यक्त करने को कमतर महसूस करवाने से जोड़ती है। सच तो यह है कि पत्नी की दुःख से सहानुभूति और ख़ुशियों से सरोकार रखने वाले पति ज्यादा सम्मान पाते हैं। करवा चौथ के पावन पर्व पर एक-दूजे से जुड़ाव के मनोभावों को सींचते हुए आप जीवनसंगिनी की ख़ुशियां सहेजिए। उपवास और उत्सव की इस परम्परा का प्रगतिशील पक्ष समझाता है कि मान-मनुहार के व्यावहारिक धरातल पर टिका रिश्ता हमेशा मजबूत बना रहता है।

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