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‘आसमां के नीचे, हम आज अपने पीछे, प्यार का जहां बसा के चले…’

08:43 AM Feb 08, 2024 IST
चंडीगढ़ सेक्टर 18 स्थित टैगोर थिएटर में प्रस्तुति देते रंजू प्रसाद और उनके पति एसएस प्रसाद। -हप्र
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मनीमाजरा (चंडीगढ़) 7 फरवरी (हप्र)
‘आसमां के नीचे, हम आज अपने पीछे, प्यार का जहां बसा के चले…’ राजल टोक और पूनम डोगरा के इस गीत पर तालियों की गड़गड़ाहट ने तो कमाल किया ही, साथ ही दर्शकों ने भी साथ-साथ गुनगुनाकर माहौल को एक अलग ही संगीतमय सुरमई शाम का रंग दे डाला। मौका था टैगोर थिएटर में बसंत गिरिजा श्री सोसायटी की ओर से आयोजित ‘सुरीला सफर: ये जिंदगी उसी की है…’ कार्यक्रम का। इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचन्द गुप्ता मुख्य अतिथि और हरियाणा पुलिस आवास निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. आरसी मिश्रा (भा.पु.से.) विशिष्ट अतिथि थे। यह संस्था ट्राईसिटी के लगभग 50 गैर पेशेवर गायकों को मंच उपलब्ध करवा रही है। कार्यक्रम में 30 से भी अधिक गायकों ने अपनी सुरीली आवाज में गीत पेश किए। कार्यक्रम के माध्यम से स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सोसायटी की अध्यक्ष रंजू प्रसाद ने बताया कि संगीत से उनका जुनून की हद तक लगाव है और इसी नाते इस सोसायटी ने जन्म लिया। हर कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए हम एक तरह की प्रसव पीड़ा से गुजरते हैं और फिर संगीत के माध्यम से दर्शकों के खिले चेहरे देख सृजन का अहसास होता है तो मन आत्मा तृप्त हो जाते है। कार्यक्रम मे बालीवुड के गीतों को कलाकारों ने प्रस्तुत कर समां बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत रंजू प्रसाद और एसएस प्रसाद ने ए मालिक तेरे बंदे हम…गीत से की। इस के बाद उन्होंने ‘ये जिंदगी उसी की है…’ गा कर ऐसा समां बांधा कि गीत खत्म होने के बाद भी काफी समय तक हाल में तालियां बजने का सिलसिला जारी रहा। अभिजीत और वाणी ने ‘देखो मैंने देखा है यह एक सपना, फूलों के शहर में हो घर अपना..’ गाया, तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। आरिशा और अनन्या ने खूब वाहवाही लूटी। जसप्रीत और कैलाश अटवाल ने ‘रंग रंग के फूल खिले हैं…’ गाकर सबका मन मोह लिया। बीडी शर्मा और पुष्पा सक्सेना ने ‘शब्बा खैर…’ गीत पेश कर दर्शकों को खूब आनंदित किया। डा. अनेजा और डा. रजी अनेजा ने ‘ये कहां आ गए हम…’ गीत पेश कर खूब तालियां बटोरीं। रौशन लाल के गाए गीत ‘तेरी आंखों के सिवा…’ ने भी दर्शकों को तालियां बजाने को मजबूर कर दिया। सागर सोनी और काव्या ने ‘अरे रे अरे यह क्या हुआ…’ गीत से पूरे माहौल को संगीत से सराबोर कर दिया। तरसेम राज सुचेता ने ‘दीवाने हैं दीवानों को ‘ और विरची कौशिक व श्री दीपा ने ‘आजा शाम होने आई…’ गाकर दर्शकों को उस समय के रोमांच की अनुभूति करवा दी।

आईएएस पति-पत्नी का कलात्मक उपक्रम है यह संस्था

बसंत गिरिजा श्री सोसाइटी की स्थापना वर्ष 2007 में भारतीय डाक सेवा अधिकारी रंजू प्रसाद और उनके आईएएस (सेवा निवृत्त) पति एसएस प्रसाद द्वारा वर्ष 2007 में की गई थी। बुजुर्गों और समाज की सेवा के लिए एक छोटे से प्रयास के रूप में बनाई गई यह सोसाइटी स्वास्थ्य, शैक्षिक और संगीत कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के कल्याण के प्रति समर्पित है।

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