मेडिकल कॉलेज में शुरू होगा अल्ट्रासाउंड, रेडियोलॉजिस्ट ने संभाला काम
रमेश सरोए/ हप्र
करनाल, 4 अप्रैल
आखिरकार 4 साल बाद मरीजों को कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नसीब होगी, उन्हें अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए बाहर के अल्ट्रासाउंड केंद्रों में नहीं जाना पड़ेगा। चूंकि मेडिकल कॉलेज में एक रेडियोलॉजिस्ट ने ज्वाइन कर लिया हैं। प्रबल संभावना है कि शुक्रवार से मरीजों के अल्ट्रासाउंड होने लगें, इसके लिए सिविल सर्जन कार्यालय से परमिशन भी मिल चुकी हैं। फिलहाल अल्ट्रासाउंड की सुविधा गर्भवती महिलाओं और इमरजेंसी के मरीजों को उपलब्ध होगी।
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. एमके गर्ग ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग में अल्ट्रासाउंड, एमआरआई ओर सिटी स्कैन की मशीने थीं, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल रही थी। अब एक रेडियोलॉजिस्ट ने ज्वाइन कर लिया हैं। अल्ट्रासाउंड शुरू हो जाएंगें, सिटी स्कैन व एमआरआई होंगे, उनकी रिपोर्ट भी उपलब्ध होगी। इससे मेडिकल कॉलेज के कार्यों में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा उपरोक्त सुविधाएं लगातार चलती रहें, इसके लिए जल्द ही 2 साल का एक डिप्लोमा भी शुरू किया जाएगा, ये डिप्लोमा विद्यार्थी एमबीबीएस के बाद भी कर सकेंगे।
प्रतिदिन 150 से अधिक मरीजों को है जरूरत
बता दें कि मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी, गर्भवती महिलाओं के अलावा ओपीडी से करीब 150 से अधिक मरीजों को अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है। इसके चलते मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने 20 गर्भवती महिलाएं और 20 इमरजेंसी के मरीजों के अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए बाहर स्थित कई प्राइवेट केंद्रों के साथ करार किया है।
मरीजों को देेने पड़ रहे हजारों रुपये
कम सुविधा होने से बाकी मरीजों को मजबूरी में बाहरी केंद्रों पर करीब 1000-1000 हजार रुपए में अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। इसके अलावा एमआरआई व सिटी स्कैन भी नाममात्र हो रहे हैं, जो हो रहे थे, उनकी रिपोर्ट के लिए मरीजों को लम्बा इंतजार करना पड़ता था। रिपोर्ट को जांच के लिए बाहरी डॉक्टरों के पास भेजा जाता था। ये समय मरीजों के लिए काफी पीड़ादायक होता था। मरीजों को रिपोर्ट के इंतजार में घंटों मेडिकल कॉलेज में बैठना पड़ता था। अब मरीजों को कुछ राहत मिलने की संभावना बंधी हैं।
मेडिकल कॉलेज में ये है स्थिति
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग में 3 अल्ट्रासाउंड मशीन, एक-एक एमआरआई, सिटी स्कैन मशीन हैं। जो पिछले 4 सालों से बंद पड़ी थी, सिटी स्कैन व एमआरआई मशीनों से ही नाममात्र के स्कैन व एमआरआई हो रही थी। इसके चलते मरीज मेडिकल कॉलेज में आ तो जाते थे, लेकिन उन्हें ये सुविधाएं नहीं मिल रही थीं। बहुत से मरीजों की जेब में बाहरी केंद्रों से सुविधा हासिल करने के पैसे नहीं होते थे। वे बिना इलाज के ही घर वापस लौटने के लिए विवश होते थे।