जालंधर से शुरू हुई अल्ट्रा मैराथन, 242 किलोमीटर का सफर तय करेंगे धावक
यशपाल कपूर/निस
सोलन, 7 नवंबर
देश के सबसे पुराने सैन्य विद्यालय, राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (आरएमएस) चायल के शताब्दी समारोह की शुरुआत 242 किलोमीटर की एक अल्ट्रा मैराथन से हुई। जालंधर से चायल के वर्तमान स्थान, सोलन जिला तक आयोजित की जा रही है। मैराथन का शुभारंभ जालंधर के ऐतिहासिक स्थल से वज्र कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी), लेफ्टिनेंट जनरल अजय चांदपुरिया ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जॉर्जियन्स उपस्थित थे, जो किंग जॉर्ज के रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज/राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के पूर्व छात्रों के लिए सशस्त्र बलों में एक लोकप्रिय नाम है। लेफ्टिनेंट जनरल चांदपुरिया ने रनर्स और स्कूल के पूर्व छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चायल को राष्ट्र की सेवा में 100 वर्षों की इस अविस्मरणीय यात्रा के लिए बधाई दी। राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चायल के प्रिंसिपल विमल कुमार गंगवाल जैन ने भी अल्ट्रा रन की सफलता की कामना की। यह अल्ट्रा मैराथन बालाचौर, पिंजौर और सोलन होते हुए दुनिया के सबसे ऊंचे क्रिकेट मैदान चायल में समाप्त होगी, जो 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस स्कूल की स्थापना 1925 में किंग जॉर्ज के रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज (केजीआरआईएमसी) के रूप में जालंधर कैंट में की गई थी। स्कूल का शिलान्यास फरवरी 1922 में तत्कालीन वेल्स के प्रिंस द्वारा किया गया था और यह 15 सितंबर 1925 से संचालित होने लगा।
कब आया यह स्कूल चायल में
1 जनवरी 1966 को स्कूल का नाम बदलकर चायल मिलिट्री स्कूल किया गया और 1966 में इसे मिलिट्री स्कूल चायल के नाम से जाना जाने लगा। अब यह विद्यालय 25 जून 2007 से राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चायल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां कैडेट्स को रक्षा सेवाओं में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली के तहत वरिष्ठ विद्यालय प्रमाणपत्र शिक्षा (10 2) योजना की पढ़ाई भी कराई जाती है।
इन छात्रों ने रोशन किया स्कूल का नाम
स्कूल के प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों में परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन जीएस सलारिया (मरणोपरांत), मिलिट्री क्रॉस विजेता मेजर जनरल श्रीकांत कोरला, महावीर चक्र, वीर चक्र और कीर्ति चक्र विजेता लेफ्टिनेंट जनरल जोगिंदर सिंह घरया, महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर राय सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल रणजीत दयाल और लेफ्टिनेंट जनरल आनंद स्वरूप शामिल हैं। इसके अलावा, कई पूर्व छात्र कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित हैं। सशस्त्र बलों के अलावा, स्कूल के पूर्व छात्रों ने राज्यपाल और उप-राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों पर भी अपनी पहचान बनाई है।