For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

परीक्षातंत्र की सर्जरी से ही नासूर का इलाज

06:31 AM Jun 22, 2024 IST
परीक्षातंत्र की सर्जरी से ही नासूर का इलाज
Advertisement

लोकमित्र गौतम

Advertisement

मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश की अखिल भारतीय परीक्षा नीट यूजी-2024 में पेपर लीक सहित कई दूसरी अनियमितताओं के संबंध में पिछले एक पखवाड़े में सुप्रीम कोर्ट कई बार सुनवाई कर चुका है, लेकिन अभी भी उम्मीदवारों का अखिल भारतीय प्रदर्शन थमा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इतर विभिन्न प्रदेशों के हाईकोर्ट्स में भी इस संबंध में अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में प्रवेश परीक्षाओं और विशेषकर सरकारी नौकरियों में चयन के लिए होने वाली परीक्षाओं में किस स्तर तक धांधली बढ़ चुकी है। चिंताजनक बात यह है कि यह स्थिति तब है, जबकि देश के आठ राज्यों में पेपर लीक और परीक्षाओं में होने वाली धांधलियों से निपटने के लिए कठोर कानून हैं। जल्द ही केंद्र सरकार का भी इस संबंध में एक केंद्रीय कानून आने वाला है, क्योंकि इस कानून का बिल लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है।
पिछले सात वर्षों में 15 राज्यों की 45 सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। अगर इनमें अकादमिक परीक्षाओं के लीक हुए पेपरों को भी जोड़ दें तो इनकी संख्या बढ़कर 70 हो जाती है। हाल में आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सात सालों में 1.5 करोड़ से अधिक छात्र पेपर लीक के कारण प्रभावित हुए हैं। पेपर लीक के इस अपराध के कारण या तो इन छात्रों का करिअर बर्बाद हो चुका है या इनके करिअर का सुखद अवसर हाथ से निकल चुका है।
देश के 8 राज्यों में पेपर लीक से लेकर नकल तक को रोकने के लिए कई तरह के कड़े कानून हैं और ये पिछले कई सालों से मौजूद हैं। मसलन महाराष्ट्र में 1982 से नकल विरोधी कानून लागू है, उड़ीसा में 1998 से, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 1997 से, झारखंड में 2001 से, छत्तीसगढ़ में 2008 से, उत्तर प्रदेश में 2017 से और राजस्थान में जुलाई, 2023 से, नकल विरोधी और पेपर लीक जैसी समस्या से सख्ती से निपटने के लिए बेहद सख्त कानून मौजूद हैं। लेकिन पेपर लीक होने की कोई कमी ही नहीं आ रही। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि उत्तर प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक रोकने के लिए जल्द ही एक कठोर कानून लाया जायेगा, जिससे कि किसी भी कीमत पर युवाओं के भविष्य के साथ किसी किस्म का खिलवाड़ न हो सके।
यूपी में नकल को रोकने और पेपर लीक जैसी समस्या से निपटने के लिए कानून के मौजूद होने के बावजूद पिछले सात सालों में सरकारी नौकरियों में भर्ती के आठ महत्वपूर्ण पेपर लीक हुए हैं। जिसमें यूपी एसआई भर्ती परीक्षा-2017, यूपी एसएसएससी परीक्षा-2018, यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2024, इन तीन परीक्षाओं में ही करीब 42 लाख परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों की जिंदगी से खिलवाड़ हुआ। जबकि इन तीनों परीक्षाओं में लगभग 80 हजार नौकरियों के पद थे। उत्तर प्रदेश में पहले से ही ऐसा कानून मौजूद है, जिसमें प्रश्नपत्र लीक करने, उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ करने आदि में शामिल किसी व्यक्ति या समूह को कम से कम तीन सालों के लिए जेल और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है। इसके बाद भी पेपर लीक और कई दूसरी तरह की परीक्षाओं से संबंधित गड़बड़ियां लगातार हो रही हैं।
अब उत्तर प्रदेश सरकार एक साल की सजा के बजाय 10 साल तक की सजा और 1 करोड़ की जगह 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माना लगाने की बात पर विचार कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के न्याय एवं विधि विभाग तथा गृह विभाग को इस संबंध में जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वो कठोर से कठोर कानून का मसौदा बनाकर मुख्यमंत्री के सामने पेश करें। जानकारों का मानना है कि कितना भी मसौदा कड़ा बना दिया जाए, यह राजस्थान में मौजूद इसी तरह के कानून से ज्यादा कड़ा कानून नहीं होगा, जिसमें इस तरह का अपराध करने वालों को उम्र कैद तक की सजा और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। यही नहीं ऐसे अपराधियों पर एनएसए या गैंगस्टर जैसे एक्ट लगाये जाने की भी बात है और अगर ये कानून इसके दायरे में आये तो फिर अपराधियों की संपत्तियों पर बुलडोजर भी चलाया जायेगा और अपराधियों की हर तरह की संपत्तियों को छीनकर इस अपराध में हुए आर्थिक नुकसान की भरपायी की कोशिश की जायेगी।
सवाल है कि जब पहले से ही आठ राज्यों में नकल और नौकरियों से संबंधित परीक्षाओं में होने वाली धांधलियों से निपटने के लिए कड़े कानून मौजूद हैं, फिर भी परीक्षाओं में होने वाली तरह-तरह के धांधलेबाजियां नहीं रुक रही हैं, तो भला कैसे उम्मीद की जा सकती है कि एक और कानून आ जाने भर से इस समस्या से छुटकारा मिल जायेगा?
दरअसल यह समस्या इसलिए भी छोटी-मोटी नहीं है, क्योंकि देश के सभी महत्वपूर्ण और बड़े प्रदेशों में ये संकट एक लंबे अर्से से मौजूद है, जिसके विरुद्ध अब तक कई तरह के कानूनों को आजमाये जाने के बाद भी ऐसे अपराधों में रत्तीभर भी कमी नहीं आयी।
तथ्य इस बात के गवाह हैं कि बीमारी बहुत जटिल और गहरी जड़ें पकड़ चुकी है। वास्तव में अगर इस बीमारी से मुक्ति पाना है, तो सरकार को बहुत कठोर होकर इस बीमारी से मुक्ति के लिए परीक्षाओं की गहरी चीड़फाड़ वाली सर्जरी करनी होगी। तभी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement