चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा उकलाना का सरकारी अस्पताल
मनोज कुमार/निस
उकलाना मंडी, 3 नवंबर
प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवा बेहतर करने के दावे करती रहती है। उकलाना में सीएचसी और पीएचसी अस्पतालों की स्थिति खराब है। स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे हैं।
कहीं फिजिशियन नहीं, तो कहीं सर्जन नहीं हैं। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सेवा के दावे बेमानी हैं। स्वास्थ्य संबंधी हल्की-फुल्की दिक्कतों के बाद प्राथमिक इलाज के बाद मरीजों को रेफर किया जा रहा है।
अस्पताल की खस्ता हालत और चिकित्सकों की कमी आमजन को भुगतनी पड़ रही है। ऐसे हालात कई दिन से बने हुए हैं।
उकलाना सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों के 8 पद हैं, पर यहां सीनियर मेडिकल अफसर (एसएमओ) का पद भी खाली पड़ा है। ऐसे हालात में अस्पताल में मरीजों से लेकर स्टाफ के कामकाज भी प्रभावित है। एसएमओ का कार्यभार किसी अन्य चिकित्सक को दिया हुआ है। यहां पर दो ही चिकित्सक हैं, जिनकी ड्यूटी कभी बरवाला के सीएचसी में लग जाती है। उकलाना सीएचसी के अंडर में तीन पीएचसी आते हैं दौलतपुर, पाबड़ा और हसनगढ़। इनमें से दौलतपुर व पाबड़ा में तो एक-एक चिकित्सक है, लेकिन हसनगढ़ के पीएचसी बिना चिकित्सक के चल रहा है। वहीं, इस क्षेत्र में अक्सर दुर्घटना होती रहती हैं। अस्पताल में रोजाना एक से दो सड़क दुर्घटना के केस आते हैं।
इन मरीजों को रेफर होकर जाना पड़ता है। अस्पताल में फर्स्ट एड के अलावा कोई इलाज नहीं है।
मेडिकल ऑफिसर बोले
मेडिकल ऑफिसर डॉ. उमेद ने बताया कि उकलाना में तीन चिकित्सक हैं, वे 9 बजे से लेकर 4 बजे तक अपनी सेवाएं देते रहते हैं और दो चिकित्सक बरवाला डेपुटेशन पर कुछ दिनों के लिए चले गए हैं। अस्पताल में सुविधाओं की कमी को लेकर उच्चधिकारियों को कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन अभी तक जो हालात हैं, वह आपके सामने हैं।
खराब होने से एक्स-रे मशीन फांक रही धूल
उकलाना सीएचसी में एक्स-रे मशीन भी है। इस मशीन को चलाने वाला आपॅरेटर भी है, लेकिन यह एक्स-रे मशीन खराब होने की वजह से धूल फांक रही है।
उकलाना सीएचसी को शिफ्ट करने की मांग
उकलाना सीएचसी का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल सरकार के समय हुआ था। उस समय पर यह सीएचसी ऐसी जगह बनी थी, जो शहर व ग्रामीण दोनों की पहुंच से बाहर है। इस सरकारी अस्पताल का उपयोग कम, बल्कि सरकार का खर्चा ज्यादा है। उकलानावासियों की मांग है कि इस सरकारी अस्पताल को शहरी क्षेत्र में लाया जाए ताकि आमजन को निजी अस्पताल में न जाना पड़े। अस्पताल में रोजाना 60 से 80 ओपीडी होती है। इनमें पेट रोग, चर्म रोग व बुखार से लेकर अन्य बीमारी के मरीज आते है। इन मरीजों को चिकित्सकों के अभाव में सिविल अस्पताल हिसार में रेफर कर दिया जाता है। अस्पताल में तीन डाक्टरों के पद खाली हैं। महिला चिकित्सक की भी कोई नियुक्ति नहीं है। अगर कोई डिलीवरी का केस आता है तो सीधा उसे सिविल अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। गंभीर केस को तत्काल रेफर कर देते हैं। किसी महिला को प्रसव पीड़ा ज्यादा हो तो उसकी डिलीवरी नर्स ही करवाती है। अस्पताल में दंत रोगी भी काफी आते हैं, पर उनको इलाज नहीं मिलता, क्योंकि दंत चिकित्सक नहीं है। आंखों का चिकित्सक भी नहीं है। लोगों को अपनी आंखें चैक करवाने के लिए हिसार या निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता है। दंत चिकित्सक न होने से मशीन धूल फांक रही है। अगर कोई दुघर्टना, लड़ाई झगड़ा वगैरहा की कोई घटना हो जाती है तो ऐसे में इस अस्पताल में एमएलआर नहीं काटी जाती है और केवल फर्स्ट एड देकर आगे रेफर कर दिया जाता है।
सीनियर सिटीजन कल्याण ट्रस्ट समिति के चेयरमैन बोले
सीनियर सिटीजन कल्याण ट्रस्ट समिति के चेयरमैन सत्यपाल गोयल ने कहा कि उकलाना के अस्पताल में बेहतर सुविधाएं देना सरकार का कर्तव्य है। जो लोग सरकार के नुमाइंदे उकलाना में हैं, वे सत्ता में भागीदारी चाहते हैं। उन्होंने पहले भी दस वर्षों में उकलाना के लिए कुछ नहीं किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी व स्वास्थ्य मंत्री आरती राव से उकलाना के सरकारी अस्पताल में बेहतर सुविधाएं देने की मांग की है।
विधायक नरेश सेलवाल का कहना है
विधायक नरेश सेलवाल ने कहा कि उकलाना के सरकारी अस्पताल की दयनीय हालत को लेकर विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को उठाएंगे। उन्होंने कहा कि उकलाना के सरकारी अस्पताल में सुविधाएं न होना सरकार की पिछले दस वर्षों की नाकामी साबित करता है।