For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

Historical heritage: पानीपत के पुरानी शुगर मिल के दो भाप इंजन बनेंगे ऐतिहासिक धरोहर

10:22 AM Nov 29, 2024 IST
historical heritage  पानीपत के पुरानी शुगर मिल के दो भाप इंजन बनेंगे ऐतिहासिक धरोहर
पानीपत की पुरानी शुगर मिल में लगे रेलवे वाले भाप इंजनों का अप्रैल, 2022 का फाइल फोटो। -हप्र
Advertisement

बिजेंद्र सिंह/हप्र, पानीपत, 28 नवंबर

Advertisement

Historical heritage: पानीपत की 18 हजार क्विंटल पेराई क्षमता की पुरानी शुगर मिल संयुक्त पंजाब के दौरान 1956 में चालू हुई थी और डाहर में 50 हजार पेराई क्षमता का नया मिल चालू होने पर अप्रैल, 2022 में इसको बंद कर दिया।

पुराना शुगर मिल लगातार 67 सालों तक गन्ने की पेराई करके बेशक अब बंद हो गया हो, लेकिन पानीपत के पुराने मिल में 350-350 हार्स पॉवर के लगे रेलवे वाले दो भाप इंजन अभी भी इतिहास संजोये हुए हैं।

Advertisement

हालांकि रेलवे में तो आधुनिकीरण के चलते पुराने भाप इंजनों के स्थान पर वर्षों पहले डीजल व इलेक्ट्रिक इंजनों ने जगह ले ली है, लेकिन पानीपत की पुरानी शुगर मिल में इन दो भाप इंजनों ने अप्रैल, 2022 तक लगातार 67 सालों तक अपनी सेवाएं दी हैं। शुगर मिल प्रबंधन अब इन दो भाप इंजनों को ऐतिहासिक धरोहर बनाकर युवा पीढ़ी के लिए एक यादगार बनाने जा रहा है।

इन दोनों भाप इंजनों पर अब पेंट आदि करवाकर नये डाहर शुगर मिल में एडमिनिस्ट्रेटिव व टेक्निकल ब्लाक के बाहर फाउंडेशन बनाकर रखा जाएगा।

बता दें कि पुराने शुगर मिल की सारी पुरानी मशीनरी व स्क्रेप बेची जा चुकी है, पर इन दोनों भाप इंजनों को पुराने शुगर मिल से लाकर अब नये डाहर शुगर मिल के ग्राउंड में रखा गया है।

हरियाणा के यमुनानगर, यूपी के पीलीभीत में ऐतिहासिक धरोहर के रूप में रखे हैं भाप इंजन

पानीपत मिल के चीफ इंजीनियर राजकुमार ने बताया कि पहले एशिया के कुछ पुराने शुगर मिलों में भाप इंजनों का प्रयोग होता था। रेलवे के इंजन तो कोयले से स्टीम बनकर चलते थे, लेकिन शुगर मिल में गन्ने की खोई से बॉयलर में स्टीम बनती थी और उसी स्टीम से ये भाप इंजन चलते थे।

पानीपत के पुराने मिल में लगे ये दोनो भाप वाले इंजन स्कोडा कंपनी के हैं और वर्ष 1954-55 में इनको चैकोस्लोवाकिया से मंगवाया गया था। इन इंजनों से मिल के रोलर चलते थे और उनसे गन्ने की पेराई होती थी। हरियाणा के यमुनानगर व यूपी के पीलीभीत प्राइवेट मिलों में भी भाप इंजन होते थे, लेकिन इन इंजनों पर रखरखाव का खर्च बहुत ज्यादा होने पर उन मिलों ने तो बहुत पहले ही मोडिफिकेशन करवा लिया। हालांकि यमुनानगर व पीलीभीत मिलों में ऐसे ही भाप इंजनों को अब ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संजो कर रखा गया है।

क्या कहते हैं शुगर मिल के एमडी

मिल के एमडी मनदीप कुमार ने बताया कि इन दोनों भाप इंजनों ने पानीपत के पुराने शुगर मिल में अप्रैल, 2022 तक लगातार 67 सालों तक अपनी सेवाएं दी हैं। ये दोनों स्टीम इंजन पुराने शुगर मिल की ऐतिहासिक धरोहर हैं। इन दोनों इंजनों को नयी डाहर शुगर मिल में एडमिनिस्ट्रेटिव व टेक्निकल ब्लाक के बाहर ऐतिहासिक धरोहर के रूप में स्थापित करेंगे ताकि युवा पीढ़ी इन इंजनों को देखकर याद रखें कि इन ऐतिहासिक धरोहर भाप इंजनों द्वारा भी कभी शुगर मिल में गन्ने की पेराई होती थी।

Advertisement
Tags :
Advertisement