तुर्किये के राष्ट्रपति ने यूएन में नहीं किया कश्मीर का जिक्र
न्यूयॉर्क, 27 सितंबर (एजेंसी)
तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने साल 2019 में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद से पहली बार इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने संबोधन में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। इस साल मंगलवार को दिये गए लगभग 35 मिनट के अपने संबोधन में उन्होंने गाजा की मानवीय संकट पर ध्यान केंद्रित किया, जहां हमास के खिलाफ इस्राइल के हमलों में 40 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। संविधान के तहत जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा 2019 में वापस लिए जाने के बाद एर्दोआन ने हर साल यहां यूएनजीए सत्र में दुनियाभर के नेताओं के सामने कश्मीर का उल्लेख किया था। इस दौरान उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ताएं किए जाने का समर्थन किया था। ‘डॉन’ समाचार पत्र की खबर के अनुसार, हालांकि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कश्मीर के संबंध में तुर्किये के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
यह ऐसे समय में हुआ है, जब तुर्किये भारत समेत पांच देशों के समूह ब्रिक्स में शामिल होने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान की पूर्व राजनयिक और संयुक्त राष्ट्र में देश की राजदूत रह चुकीं मलीहा लोधी ने तुर्किये के रुख में आए स्पष्ट बदलाव पर टिप्पणी की है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘पिछले पांच वर्षों के विपरीत, (तुर्किये के) राष्ट्रपति एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। उन्होंने 2019, 2020, 2021, 2022 और 2023 में ऐसा किया था।’ पाकिस्तान का समर्थन करने वाले एर्दोआन ने पहले कई बार कश्मीर मुद्दा उठाया है, जिसके चलते भारत और तुर्किये के बीच संबंधों में तनाव देखा जा चुका है। भारत उनकी टिप्पणियों को पूरी तरह अस्वीकार्य बताकर खारिज करता रहा है। भारत कहता रहा है कि तुर्किये को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए और यह उसकी नीतियों में और ज्यादा गहराई से झलकना चाहिए। यूएनजीए में इस वर्ष अपने संबोधन में एर्दोआन ने गाजा में फलस्तीनियों की दशा की ओर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया और संयुक्त राष्ट्र पर आम लोगों को मौत से बचाने में नाकाम रहने का आरोप लागया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘दुनिया इन पांच से बड़ी है।’