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Trump-style immigration in UK: ब्रिटेन में ट्रंप स्टाइल में निर्वासन, 19 हजार अवैध प्रवासी निर्वासित

11:52 AM Feb 11, 2025 IST
वीडियो ग्रैब

चंडीगढ़, 11 फरवरी (ट्रिन्यू/एजेंसी)

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Trump-style immigration in UK: ब्रिटेन सरकार ने पहली बार प्रवासियों के निर्वासन का वीडियो जारी किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि देश में अवैध प्रवासियों और विदेशी अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई जारी है। लेबर सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक लगभग 19,000 अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकाला जा चुका है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार द्वारा इमिग्रेशन पर सख्ती दिखाने के कुछ ही दिनों बाद, ब्रिटेन की लेबर सरकार ने भी अवैध कामगारों पर व्यापक छापेमारी अभियान शुरू किया है। इस "यूके-वाइड ब्लिट्ज" में भारतीय रेस्तरां, नेल बार, किराना स्टोर और कार वॉश जैसे व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया है, जहां प्रवासी श्रमिक कार्यरत थे।

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ब्रिटेन की गृह सचिव यवेट कूपर के अनुसार, उनके विभाग की इमिग्रेशन प्रवर्तन टीमों ने इस वर्ष जनवरी में रिकॉर्ड स्तर की छापेमारी की है। जनवरी 2024 की तुलना में इस बार 48 प्रतिशत अधिक यानी 828 परिसरों पर छापे मारे गए, जबकि गिरफ्तारियों की संख्या 73 प्रतिशत बढ़कर 609 हो गई।

विशेष रूप से, उत्तरी इंग्लैंड के हंबरसाइड स्थित एक भारतीय रेस्तरां में की गई छापेमारी में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से चार को तुरंत हिरासत में ले लिया गया।

लेबर पार्टी सरकार का बॉर्डर सिक्योरिटी, शरण और इमिग्रेशन विधेयक इस सप्ताह संसद में दूसरी बार पढ़ा जाएगा। इस नए कानून का उद्देश्य "आपराधिक गिरोहों को ध्वस्त करना" है, जो प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के प्रशासन के अनुसार सीमा सुरक्षा को कमजोर कर रहे हैं।

इस अभियान के तहत कुल 1,090 सिविल पेनल्टी नोटिस जारी किए गए हैं, और यदि किसी नियोक्ता को अवैध प्रवासियों को काम पर रखने का दोषी पाया जाता है, तो उसे प्रति कर्मचारी 60,000 ब्रिटिश पाउंड तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

सरकार ने दावा किया है कि उन्होंने जुलाई 2024 के आम चुनाव के बाद से 16,400 लोगों को निष्कासित करके अपने लक्ष्यों को पूरा कर लिया है। यह निष्कासन दर 2018 के बाद से सबसे अधिक है।

सरकार की इस सख्त नीति को लेकर मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की नीति से प्रवासी समुदाय में डर और असुरक्षा की भावना बढ़ सकती है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कदम देश की सीमाओं को सुरक्षित बनाने और अवैध प्रवास को रोकने के लिए आवश्यक है।

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