सच्चा सुख
एक करोड़पति हीरों की पोटली लेकर शहर-शहर, गांव-गांव घूम रहा था। उसका कहना था कि जो उसे सुख देगा, ये सारे हीरे उसके होंगे। वह एक गांव में पहुंचा, वहां एक किसान के पास खेतों में जाकर घोड़ा खड़ा किया व पोटली पटक कर बोला, ‘मैं बहुत दुखी हूं, मुझे सुख चाहिए।’ किसान समझदार था, उस धनवान की बीमारी समझ गया। बोला, ‘बैठिए।’ इससे पहले कि धनवान बैठता, किसान पोटली लेकर भाग खड़ा हुआ। अमीर उसके पीछे-पीछे दौड़ा, चिल्लाता हुआ बोला, ‘लुट गया, मैं बर्बाद हो गया। मेरी सारी उम्र की कमाई लेकर भाग गया, इसे पकड़ो।’ किसान ने उसे सारे गांव का चक्कर लगवाया। आखिर में वापस उसी खेत में घोड़े के पास आकर पोटली रख दी। अमीर भी वहां पहुंच गया। उसने पोटली को सीने से लगा लिया। किसान बोला, ‘कुछ सुख मिला?’ अमीर बोला, ‘कुछ, अरे बहुत मिला! इससे ज्यादा सुख मैंने पूरे जीवन में नहीं पाया।’ कुछ पाने के लिए कुछ खोना जरूरी है।
प्रस्तुति : विनय मोहन खारवन