पूर्व सीएम मनोहर के करीबी तरुण भंडारी की बढ़ी मुश्किलें
चंडीगढ़, 3 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा के मुख्यमंत्री के एडवाइजर (पब्लिसिटी) तरुण भंडारी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल ने भंडारी को अपना एडवाइजर लगाया था। इसके बाद नये सीएम नायब सिंह सैनी ने भी उन्हें एडवाइजर (पब्लिसिटी) की जिम्मेदारी देकर रखी। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में हुए ‘खेल’ तथा कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों की वोट के चलते कांग्रेस पूरा संख्याबल होने के बाद भी राज्यसभा चुनाव हार गई थी। हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले में भाजपा पर विधायकों की खरीदो-फरोख्त करने के आरोप भी लगाए थे। इस मामले में कांग्रेस के छह विधायकों की सदस्यता भी गई और हिमाचल में इन सभी छह सीटों पर उपचुनाव हुआ। उपचुनाव के नतीजे 4 जून को ही लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ घोषित होंगे। इसी मामले को लेकर शिमला पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की हुई है। इस एफआईआर को लेकर शिमला के डीएसपी की ओर से तरुण भंडारी को नोटिस भेजकर थाने में बुलाया गया था। तरुण भंडारी को 28 मई को थाने में पेश होना था लेकिन वे गए नहीं। अब उन्हें दोबारा से नोटिस भेजकर 7 मई को शिमला पुलिस स्टेशन में बुलाया गया है। तरुण भंडारी हरियाणा के लोकसभा चुनावों में काफी एक्टिव थे। भाजपा में दूसरे दलों के कई नेताओं को शामिल करवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। पूर्व सीएम मनोहर लाल के नजदीकियों में शामिल तरुण भंडारी उस समय सुर्खियों में आए थे जब हिमाचल कांग्रेस के छह विधायकों के अलावा तीन निर्दलीय विधायक चंडीगढ़ व पंचकूला में रुके थे। इन सभी विधायकों को आने और ले-जाने के अलावा इनके रुकने आदि के प्रबंध तरुण भंडारी द्वारा ही किए गए थे। बताते हैं कि भाजपा की ओर से तरुण भंडारी को इन विधायकों के साथ अटैच किया था। अब 4 जून को नतीजे घोषित होंगे। अगर भाजपा उपचुनाव में जीत हासिल करती है तो हिमाचल प्रदेश में सुक्खू कांग्रेस सरकार पर संकट बढ़ सकता है।