तिरंगा और उससे जुड़ी बातें
01:56 PM Aug 14, 2021 IST
अलका ‘सोनी’
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एक बार फिर स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) का जश्न मनाने के लिए हम तैयार हैं। बेशक माहौल सोशल डिस्टेंसिंग का है, लेकिन जज्बे और जुनून में कोई कमी नहीं। हम सब जानते हैं कि 15 अगस्त, 1947 को हमारे देश को अंग्रेजी दासता से मुक्ति मिली थी। ब्रिटिश ध्वज की जगह हमारे तिरंगे को पहली बार लहराया गया था। तिरंगा हमारी आन-बान शान और आजादी के साथ ही स्वाभिमान का प्रतीक है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि हर साल 15 अगस्त को लाल किले पर तिरंगे को शान से फ़हराया जाता है। इसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा रंग होता है। सफेद पट्टी के बीचों-बीच नीले रंग का एक चक्र होता है। इसमें बनीं चौबीस तीलियां दिन के चौबीसों घंटे अलर्ट रहने का प्रतीक होता है। हर रंग का मतलब भी आपको पता ही है। आइये तिरंगे से जुड़ी कुछ और बातों को जानें-
- किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए।
- रांची का पहाड़ी मंदिर भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहां तिरंगा फहराया जाता है। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी रांची में ही फहराया गया है।
- तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है।
- तिरंगे का निर्माण हमेशा आयताकार (रेक्टेंगल शेप) में ही होगा, जिसका अनुपात 3:2 तय है। अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं। इसमें 24 तीलियांं होनी आवश्यक हैं।
- सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त, 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।
- झंडे पर कुछ भी कलाकृति बनाना या लिखना गैरकानूनी है। नाव या जहाज में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता। न ही इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने के लिए किया जा सकता है।
- तिरंगे को फहराते समय ध्यान रखना चाहिए कि वह सीधा हो। यानी केसरिया रंग सबसे ऊपर हो। इसके साथ ही इसे जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
- किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते।
- आम नागरिकों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर, 2002 के बाद मिली।
- तिरंगे को रात में भी फहराने की अनुमति साल 2009 में दी गई। इससे पहले शाम होते ही तिरंगे को सम्मानपूर्वक उतारकर रखने की परंपरा थी।
- राष्ट्रपति भवन संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है।
- भारत के संविधान के अनुसार किसी राष्ट्रीय विभूति का निधन होने और राष्ट्रीय शोक घोषित होने पर कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है।
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