Travelling In Punjab : बंद दरवाजे खुले, इतिहास ने ली करवट... पर्यटकों के लिए फिर खुला 200 साल से बंद पुराना किला
फिरोजपुर, 3 जून (भाषा)
फिरोजपुर, पंजाब का ऐतिहासिक नगर, एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कारण है- फिरोजपुर किले का 200 साल बाद आम लोगों के लिए खुलना। यह किला, जो अब तक भारतीय सेना के अधीन था, 19वीं सदी की सैन्य और स्थापत्य कला का जीवित प्रमाण है। इसका आम जनता के लिए खुलना न सिर्फ इतिहास प्रेमियों बल्कि पर्यटकों के लिए भी किसी उपहार से कम नहीं है।
पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को सैन्य विरासत से जोड़ने की पहल के तहत, सेना की गोल्डन एरो डिवीजन ने दो शताब्दी पुराने ऐतिहासिक फिरोजपुर किले को आम लोगों के लिए खोल दिया है। यह पहली बार है जब इस ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प नजरिए से महत्वपूर्ण स्थल को 200 वर्षों में लोगों के लिए खोला गया है।
गोल्डन एरो डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल आर एस मनराल ने कहा कि यह कदम राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करने और जिम्मेदार सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जीओसी ने कहा, "भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट रणनीतिक रूप से स्थित, फिरोजपुर किला सिख साम्राज्य की 19वीं सदी की सैन्य वास्तुकला का एक उल्लेखनीय उदाहरण है।" उन्होंने कहा कि इस किले की विशिष्ट षट्कोणीय संरचना और इसकी मजबूत रक्षात्मक विशेषताएं उस समय की रणनीतिक सूझबूझ को दर्शाती हैं।
क्यों खास है यह किला?
फिरोजपुर किला लगभग 180 साल पहले ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया था। इसे 1839 में अंग्रेजों ने एक सैन्य चौकी के रूप में स्थापित किया था, जब वे पंजाब पर कब्जे की तैयारी कर रहे थे। इसका उपयोग सैन्य गतिविधियों, हथियारों के भंडारण और रणनीतिक निगरानी के लिए होता था। किला सतलुज नदी के पास स्थित है, जो इसे सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है।
ब्रिटिश हुकूमत के बाद, यह किला भारतीय सेना के नियंत्रण में चला गया। तब से यह एक सुरक्षा क्षेत्र घोषित रहा और आम जनता के लिए बंद कर दिया गया था। यहां सेना की गतिविधियाँ, गोपनीय दस्तावेज और सैन्य भंडारण चलता रहा।