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Travelling In India : दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिर, एक बार देखने के बाद बार-बार करेगा यहां आने का दिल

07:11 PM Feb 07, 2025 IST
travelling in india   दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिर  एक बार देखने के बाद बार बार करेगा यहां आने का दिल
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चंडीगढ़, 7 फरवरी (ट्रिन्यू)

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दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं जो प्राचीन वास्तुकला का आदर्श उदाहरण हैं। इन मंदिरों के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि ये न केवल पूजा स्थल हैं बल्कि सांस्कृतिक विरासत, जटिल कलात्मकता और ऐतिहासिक प्रतिभा के प्रतीक भी हैं।

संगीतमय स्तंभ, विशाल पत्थर के रथ, विस्तृत गलियारे और पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों को दर्शाने वाली जटिल पत्थर की नक्काशी सब कुछ आपको विस्मय में डाल देता है। यही वजह है कि दक्षिण भारत में घूमने के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक आते हैं। चलिए आपको आज ऐसे ही प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताते हैं, जिन्हें जिंदगी में एक बार तो जरूर देखना चाहिए।

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1. वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुपति

वेंकटेश्वर मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के पहाड़ी शहर तिरुमाला में स्थित है। भगवान विष्णु (तिरुपति बालाजी) को समर्पित, मंदिर की उत्पत्ति 300 ईस्वी पूर्व की है। यह मंदिर अपनी समृद्ध और शानदार द्रविड़ वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।

2. रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम

रामेश्वरम के शांत द्वीप पर भगवान शिव का पवित्र निवास, रामनाथस्वामी मंदिर स्थित है। यह मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका बहुत महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण के खिलाफ युद्ध में अपने किए की क्षमा मांगते हुए यहां शिव से प्रार्थना की थी। सबसे अच्छी बात मंदिर के गलियारे हैं, जो राजसी स्तंभों और जटिल नक्काशी से सजे हैं जो भारत में सबसे लंबे हैं। इन गलियारों से गुजरना समय और भक्ति के बीच यात्रा जैसा लगता है।

3. विरुपाक्ष मंदिर, हम्पी

हम्पी में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित विरुपाक्ष मंदिर, विजयनगर साम्राज्य के गौरवशाली युग से संबंधित है। भगवान शिव (विरुपाक्ष) को समर्पित यह मंदिर अपने विशाल गोपुरम, जटिल नक्काशी और भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है। 7वीं शताब्दी में बने इस मंदिर में विभिन्न शासकों द्वारा कई निर्माण किए गए हैं इसलिए यहां आपको अलग-अलग शैली एक साथ देखने को मिलती है।

4. मीनाक्षी मंदिर, मदुरै

देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित, मीनाक्षी मंदिर द्रविड़ वास्तुकला की एक सच्ची कृति है। आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि 1623 और 1655 ई. के बीच निर्मित वर्तमान संरचना, दुनिया के नए सात अजूबों के लिए शीर्ष 30 नामांकितों में से एक थी। सुंदर गोपुरम, विस्तृत प्रतिमा विज्ञान और मीनाक्षी का तोता पकड़े हुए मंदिर विशेष रूप से पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करते हैं।

5. ऐहोल और पट्टाडकल

कर्नाटक के प्राचीन शहर ऐहोल और पट्टाडकल 5वीं शताब्दी के अपने शानदार मंदिरों के लिए जाने जाते हैं। ऐहोल, जिसे अक्सर "हिंदू रॉक वास्तुकला का उद्गम स्थल" कहा जाता है, में दुर्गा मंदिर और लाड खान मंदिर जैसे मंदिर हैं, जो प्रारंभिक चालुक्य कला को खूबसूरती से दर्शाते हैं। इसके मंदिरों में नागर और द्रविड़ शैलियों का मिश्रण है, जिसमें संगमेश्वर और मल्लिकार्जुन मंदिर शामिल हैं।

6. बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर

तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर चोल राजवंश के तहत तमिल वास्तुकला का मुकुट रत्न है। 2015 में 1005 साल पुराना भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल "ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स" का हिस्सा है। इसका विशाल विमान, विशाल, विस्तृत मूर्तियां और समृद्ध इतिहास इसे दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक बनाते हैं।

7. विट्ठल मंदिर, हम्पी

हम्पी का विट्ठल मंदिर अपनी उल्लेखनीय वास्तुकला और सबसे आकर्षक संगीतमय स्तंभों के लिए जाना जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में भव्य और विशाल पत्थर के रथ हने हुए हैं। सबसे खास बात यह है कि मंदिर के पिलर को बजाने पर इनमें से संगीत निकलता है इसलिए इसे म्यूजिकल पिलर्स भी कहा जाता है।

8. सुचिन्द्रम मंदिर, कन्याकुमारी

सुचिन्द्रम मंदिर, तमिलनाडु के कन्याकुमारी ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो देवी सती के 51 शक्ति पीठों में से एक है। इसे थानुमालयन मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु, और ब्रह्मा की त्रिमूर्ति को समर्पित है। इसके अलावा मंदिर में बनी भगवान हनुमान की 22 फुट ऊंची मूर्ति भी पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है।

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