Travelling In India : अमित शाह ने तमिलनाडु में की पूजा-अर्चना, बहुत खास है 14 एंट्री प्वाइंट और हॉल ऑफ थाउजेंड पिलर्स वाला यह मीनाक्षी मंदिर
मदुरै, 8 जून
Travelling In India : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को मीनाक्षी मंदिर में पूजा-अर्चना की और पुजारियों ने उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। मदुरै अधीनम के पुजारी श्री ला श्री हरिहर श्री ज्ञानसंबंद देसिका स्वामीगल ने शाह को भगवा रंग की शॉल तथा आध्यात्मिक पुस्तकें भेट कीं। शाह ने नैनार नागेंद्रन और केंद्रीय राज्य मंत्री एल मुरुगन सहित भाजपा नेताओं के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। शाह के दौरे के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
मीनाक्षी अम्मन मंदिर की खासियत
मीनाक्षी अम्मन मंदिर, जिसे मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर भी कहा जाता है, भारत के तमिलनाडु के मदुरै में स्थित प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर देवी मीनाक्षी (पार्वती का एक रूप) और उनके पति भगवान सुंदरेश्वर (भगवान शिव) को समर्पित है। दक्षिण भारत की स्थापत्य कला का प्रतीक यह मंदिर न केवल तीर्थस्थल है, बल्कि एक ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर भी है।
बहुत पुराना है मंदिर का इतिहास
मीनाक्षी मंदिर की उत्पत्ति का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि मूल मंदिर 6वीं शताब्दी ईस्वी में पांड्य राजाओं द्वारा बनवाया गया था। बाद में 14वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के आक्रमणों के दौरान यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था। विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल में 16वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण कराया गया। इसके बाद नायक राजवंश के राजा तिरुमलाई नायक ने 17वीं शताब्दी में इसे और भी भव्य रूप में विकसित किया।
एक-दो नहीं मंदिर में बने है 14 प्रवेश द्वार
मीनाक्षी मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर का कुल क्षेत्रफल लगभग 15 एकड़ में फैला हुआ है। इसके चारों ओर ऊंची दीवारें बनी हुई हैं। मंदिर में कुल 14 गोपुरम (प्रवेश द्वार) हैं, जिनमें से सबसे ऊंचा गोपुरम लगभग 170 फीट ऊंचा है। इन गोपुरमों पर देवी-देवताओं, राक्षसों, पशु-पक्षियों और पौराणिक दृश्यों की हजारों रंग-बिरंगी मूर्तियां बनी हुई हैं।
देवी मीनाक्षी और सुंदरेश्वर के गर्भगृह
मंदिर के दो मुख्य गर्भगृह हैं- एक देवी मीनाक्षी के लिए और दूसरा भगवान सुंदरेश्वर के लिए। देवी मीनाक्षी को एक चार भुजाओं वाली योद्धा देवी के रूप में दर्शाया गया है, जिनके एक हाथ में तोता भी दिखाया गया है। भगवान सुंदरेश्वर (शिव) का मंदिर भी अत्यंत भव्य है, जहाँ शिवलिंग की पूजा की जाती है। यहाँ एक विशेष बात यह है कि पार्वती को प्रधान देवता के रूप में पूजा जाता है, जो कि भारत के अधिकांश शिव मंदिरों से भिन्न है।
हॉल ऑफ थाउजेंड पिलर्स (हजार खंभों का मंडप)
इस मंदिर की सबसे अद्भुत संरचनाओं में से एक है “हॉल ऑफ थाउजेंड पिलर्स”। वास्तव में इसमें 985 खंभे हैं, लेकिन इसे प्रतीकात्मक रूप से हजार खंभों वाला कहा जाता है। ये खंभे द्रविड़ शैली में बेहद सुंदर नक्काशीदार हैं और हर खंभा अपनी अलग कला में बना है। इसके खंभों को देखने से लगता है कि वे किसी कला दीर्घा में रखे गए शिल्पकला के अद्भुत नमूने हैं।
स्वर्ण कमल पुष्करिणी
मंदिर के अंदर एक सुंदर सरोवर भी है जिसे “स्वर्ण कमल पुष्करिणी” कहा जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि सरोवर में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं। यह सरोवर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंदिर परिसर को एक शांत और दिव्य वातावरण प्रदान करता है।