गन्ने की फसल पर टॉप बोरर के अटैक से बचने के लिये खेतों में लगाया ट्रैप
सुरेन्द्र मेहता/हप्र
यमुनानगर,1 अप्रैल
हरियाणा में गन्ने की फसल पर टॉप बोरर के अटैक ने किसानों की नींद उड़ा दी है। लेकिन इसी बीच खेतों में लगाए गए एक विशेष किस्म के ट्रैप ने किसानों के बीच एक उम्मीद पैदा की है, जिससे इस समस्या का समाधान मिलता नजर आने लगा है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस कीट के फैलने से फसल की बढ़वार प्रभावित होती है। गन्ने का उत्पादन, गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। पत्तियां खराब हो जाती हैं, जिससे हरे चारे की दिक्कत होती है। अगर खेत में अधिक पानी का भराव होता है तो इस कीट का प्रकोप बढ़ता है। चीनी की रिकवरी घट सकती है। हरियाणा के जिन जिन इलाकों में सीओ- 238 वैरायटी का गन्ना है, वहां यह कीड़ा व बीमारी अधिक मात्रा में पाई गई है और प्रभावित गन्ने के खेतों में 25 से 30% तक नुकसान हुआ है। गन्ना उत्पादक किसान सतपाल कौशिक ने बताया कि उन्होंने अपने गन्ने के खेतों में ट्रैप लगाया है जिसमें एक कैप्सूल और पानी डाला जाता है। इस ट्रैप के आसपास जब तितली उड़ती है तो उसे एक विशेष किस्म की गंध आती है जिसके चलते वह उस और आकर्षित होती है और पानी में डूबकर मर जाती है। फिलहाल इस तकनीक से कुछ लाभ होता नजर आ रहा है। पिछले कई वर्षों से यमुनानगर में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी सरस्वती शुगर मिल द्वारा टॉप बोरर के खिलाफ अभियान चलाया जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह कीड़ा लगभग समाप्त हो गया था। हरियाणा के अलग-अलग इलाकों में 14 शुगर मिले हैं। कृषि मंत्री कंवर पाल का कहना है कि हरियाणा के कई इलाकों में इस बीमारी के बारे में पता चला है। कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये गए हैं कि वह बीमारी का पता लगाकर किसानों को सही सलाह दें ताकि बीमारी और फैलने से रोका जा सके।
5 पीढ़ियां टॉप बोरर की
सरस्वती शुगर मिल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डीपी सिंह ने बताया कि सभी इलाकों में कई टीमें सक्रिय हैं। उन्होंने माना कि पिछले वर्ष कुछ वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष टॉप बोरर का अधिक प्रभाव है। टॉप बोरर की कुल 5 पीढ़ियां हैं। अभी तक तीन पीढ़ियां खेतों में पाई गई हैं। जिनमें लारवा, सुंडी व तितली हैै। सितंबर,अक्टूबर में चौथी व पांचवीं पीढ़ी के आगमन व आक्रमण करने की आशंका जताई जा रही है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में गन्ना पैदा होता है लेकिन सबसे ज्यादा गन्ना यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, जींद, कैथल, सोनीपत, रोहतक आदि इलाकों में होता है।