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गलत सिग्नल से पकड़ा मौत का ट्रैक!

12:36 PM Jun 04, 2023 IST

मुख्य अंश

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  • प्राथमिक जांच का निष्कर्ष- लूप लाइन पर चली गयी थी कोरोमंडल एक्सप्रेस

बालासोर/ भुवनेश्वर, 3 जून (एजेंसी)

ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम हुए रेल हादसे में मरने वालों की संख्या शनिवार को बढ़कर 288 हो गई। देश के सबसे भीषण रेल हादसों में शामिल इस दुर्घटना में करीब 1,100 यात्री घायल हुए हैं। रेलवे ने हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं, जिसकी अध्यक्षता दक्षिण-पूर्वी सर्किल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त एएम चौधरी करेंगे।

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इस बीच, सूत्रों ने संकेत दिया है कि हादसे का संभावित कारण सिग्नल में गड़बड़ी होना है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन से ठीक पहले मुख्य लाइन के बजाय ‘लूप लाइन’ पर चली गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई। इस भीषण टक्कर से कोरोमंडल एक्सप्रेस के 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और 3 डिब्बे बगल की पटरी पर गिर गए। उस पटरी पर सामने से आ रही बेंगलुरू-हावड़ा एक्सप्रेस इन डिब्बों से टकरा गयी। सूत्रों ने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रति घंटा, जबकि बेंगलुरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस की गति 116 किमी प्रति घंटा थी। रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपी गई है। रेलवे ने बताया कि ट्रेनों की टक्कर रोकने वाली ‘कवच’ प्रणाली इस मार्ग पर उपलब्ध नहीं थी।

स्टेशन क्षेत्र में बनी ‘लूप लाइन’ का उद्देश्य परिचालन को सुगम करने के लिए अधिक ट्रेनों को समायोजित करना होता है। यह आमतौर पर 750 मीटर लंबी होती है ताकि लंबी मालगाड़ी का पूरा हिस्सा उस पर आ जाए।

नायक बनकर मदद करने पहुंचे स्थानीय लोग

भयानक रेल हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग घायलों की मदद करने के लिए तत्काल दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए थे। रणजीत गिरि, बिप्रदा बाग, आशा बेहरा और अशोक बेरा घायलों को बचाने के लिए सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों में से हैं। ये सभी बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन इलाके के निवासी हैं, जहां हादसा हुआ। गिरि ने एक बांग्ला समाचार चैनल से कहा, ‘मैंने जोरदार आवाज और उसके बाद लोगों के चीखने की आवाज सुनी। हम घटनास्थल की ओर दौड़े और मंजर देखकर रौंगटे खड़े हो गए। हम घायलों को बचाने में जुट गए। हमने कम से कम 50 घायलों को बचाया और यात्रियों को अपने वाहनों से स्थानीय अस्पतालों में पहुंचाया।’

दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार अपराह्न वायुसेना के हेलीकॉप्टर से बालासोर पहुंचे। उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ दुर्घटना स्थल पर राहत कार्यों का जायजा लिया और अस्पताल में भर्ती यात्रियों से भी मिले। इससे पहले प्रधानमंत्री ने नयी दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। मोदी ने कहा कि रेल हादसे के लिए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी दुर्घटनास्थल पहुंचे। ओडिशा में एक दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया गया। विपक्ष ने ट्रेन हादसे पर शोक जताया और सरकार की निंदा की। इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा सहित दुनिया भर के नेताओं ने गहरी संवेदना व्यक्त की।

भारतीय रेल इतिहास की तीसरी सबसे भीषण दुर्घटना

6 जून, 1981 बिहार में पुल पार करते समय बागमती नदी में गिर गयी थी एक ट्रेन, 750 से ज्यादा यात्रियों की हुई थी मौत।

20 अगस्त, 1995 उत्तर प्रदेश में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस फिरोजाबाद के पास खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी, लगभग 305 यात्री मारे गए थे।

घायलों से भरे अस्पताल

रेल हादसे के बाद बालासोर जिला अस्पताल और सोरो अस्पताल में बड़ी संख्या में घायलों को लाया गया, जिससे इन अस्पतालों के कमरे भर गये और गलियारों तक में मरीजों को रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग स्वेच्छा से यहां और कई अन्य अस्पतालों में रक्तदान कर रहे हैं। अस्पताल के मुर्दाघर में कफन में लिपटे शवों का ढेर लगा हुआ है।

जमीन में धंस गया एक डिब्बा : भारतीय रेल के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा कि बचाव अभियान पूरा हो गया है। अब मार्ग को सुचारु करने का कार्य शुरू किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि एक डिब्बा बचावकर्मियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना रहा। यह जमीन में धंस गया था, उसे ऊपर लाने के लिए क्रेन और बुलडोजर की मदद ली गयी। अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान में 1,200 कर्मियों के अलावा 200 एंबुलेंस, 50 बस और 45 सचल स्वास्थ्य इकाइयां दुर्घटनास्थल पर काम कर रही हैं। वायुसेना ने चिकित्सकीय दलों के साथ दो हेलीकॉप्टर भेजे।

90 ट्रेनें रद्द, 46 का मार्ग बदला

हादसे के बाद 90 ट्रेनों को रद्द किया गया, 46 ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया गया, जबकि 11 ट्रेनों को उनके गंतव्य से पहले रोक दिया गया। प्रभावित ट्रेनों में ज्यादातर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व रेलवे की हैं।

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