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कल तेरी बज़्म से दीवाना चला जाएगा

06:35 AM Oct 05, 2024 IST

सहीराम

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बड़ा ही मौजूं गाना है जी। बस यूं ही याद आ गया। आज यह जो आपकी गली में रौनक है, आवाजाही है, धूम-धड़ाका है, शोरोगुल है, मान-मनुहार है, यह कल नहीं होगी। कल आपसे कोई इल्तिजा नहीं कर रहा होगा कि हमारा भी ख्याल रखिएगा। कल के बाद आप कहेंगे कि हुजूर हमारा थोड़ा ख्याल रखिएगा और वे बिल्कुल भी नहीं रखेंगे। कल चाहे आप थाने में पिटो या सड़कों पर- कोई आपका ख्याल नहीं रखेगा। अपनी चोट आपको खुद ही सहलानी होगी। मलहम का जुगाड़ खुद आप ही को करना होगा।
यह जो आज लल्लोचप्पो हो रही है न कि आप ही हमारे भगवान हैं, यह कल नहीं होगी। कल के बाद आप उनकी लल्लोचप्पो करते नजर आएंगे कि साहब जरा बच्चे की नौकरी लगवा दीजिए। यह जो आज आपसे मनुहार की जा रही है न कि चलिए बूथ तक चलिए, वोट दे दीजिए, यह मनुहार कल नहीं होगी। कल आप उनकी मनुहार करते नजर आएंगे कि साहब आपका आशीर्वाद मिल जाएगा तो हम गरीबों का भी बेड़ा पार हो जाएगा। यह आपकी गली का फेरा फिर नहीं होने वाला। आज वे आपके दर पर नाक रगड़ रहे हैं, कल आप उनकी ड्योढ़ी पर नाक रगड़ रहे होंगे।
यही हमारे लोकतंत्र का सत्य है। आज की रात मेरे दिल की सलामी ले ले, की तर्ज पर आज आप जो भी मांगोगे, मिलेगा। खुला ऑफर होगा, बोतल चाहिए, पैसा चाहिए, मुर्ग मुस्सलम चाहिए, बूथ तक जाने के लिए गाड़ी चाहिए- सब मिलेगा। कल आपको अपनी रोटी खुद ही जुटानी होगी। आज जो कार्यकर्ता आपके आगे-पीछे घूम रहे हैं, वे कल नेताजी के आगे-पीछे घूमते नजर आएंगे और आपको पहचानेंगे भी नहीं, बिल्कुल भी नहीं। आज जो वादे किए जा रहे हैं, कसमें खायी जा रही हैं, हलफ उठाए जा रहे हैं, यह खेला सिर्फ आज की रात तक है। फिर तो यही होगा कि कसमे, वादे, प्यार, वफा सब बातें हैं, बातों का क्या। कोई किसी का नहीं यह नाते हैं, नातों का क्या।
कल के बाद उनका आपसे कोई नाता नहीं होगा। वे फिर राजा होंगे और आप रंक। उनके सिर मुकुट सजेगा और आपके हाथों में छाले सजेंगे। फिर तो कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली। कल सब सामान्य हो जाएगा। आज आप जो हिसाब मांग रहे हैं न इतने वर्षों का, यह बही खाता आपका धरा रह जाएगा। तो आज के साथ कल की भी सोेचिए। लोकतंत्र आपको मौका देता है। राजशाही नहीं देती, तानाशाही नहीं देती। इस मौके को मत गंवाइए। झूठ और फरेब को समझने की समझ बनाइए। वादों की हकीकत को पहचानिए। यह सुनिश्चित कीजिए कि कोई जवाबदेही हो। धर्म और जाति के चक्रव्यूह में मत फंसिए। लोभ लालच से बचकर बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल कीजिए। नहीं?

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