मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

सहनशीलता अच्छे विवाह की नींव : सुप्रीम कोर्ट

07:11 AM May 04, 2024 IST
Advertisement

नयी दिल्ली, 3 मई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सहनशीलता, समायोजन और सम्मान एक अच्छे विवाह की नींव हैं तथा छोटे-मोटे झगड़े और छोटे-मोटे मतभेद साधारण मामले होते हैं जिन्हें इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए कि इससे वह चीज नष्ट हो जाए जिसके बारे में कहा जाता है कि वह स्वर्ग में बनती है। न्यायालय ने यह बात एक महिला द्वारा पति के खिलाफ दायर किए गए दहेज उत्पीड़न के मामले को रद्द करते हुए कही।
कोर्ट ने कहा कि कई बार विवाहित महिला के माता-पिता एवं करीबी रिश्तेदार बात का बतंगड़ बना देते हैं और स्थिति को संभालने तथा शादी को बचाने के बजाय उनके कदम छोटी-छोटी बातों पर वैवाहिक बंधन को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि महिला, उसके माता-पिता और रिश्तेदारों के दिमाग में सबसे पहली चीज पुलिस की आती है जैसे कि पुलिस सभी बुराइयों का रामबाण इलाज हो। पीठ ने कहा कि मामला पुलिस तक पहुंचते ही पति-पत्नी के बीच सुलह के उचित अवसर नष्ट हो जाते हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘पति-पत्नी अपने दिल में इतना ज़हर लेकर लड़ते हैं कि वे एक पल के लिए भी नहीं सोचते कि अगर शादी टूट जाएगी, तो उनके बच्चों पर क्या असर होगा।’ इसने कहा, ‘हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसका एकमात्र कारण यह है कि पूरे मामले को ठंडे दिमाग से संभालने के बजाय, आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से एक-दूसरे के लिए नफरत के अलावा कुछ और नहीं मिलेगा। पति और उसके परिवार द्वारा पत्नी के साथ वास्तविक दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के मामले हो सकते हैं। इस तरह के दुर्व्यवहार या उत्पीड़न का स्तर अलग-अलग हो सकता है।’ शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त करते हुए की जिसमें आपराधिक मामले को रद्द करने के पति के आग्रह को खारिज कर दिया गया था। पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों ने कथित तौर पर दहेज की मांग की तथा उसे मानसिक एवं शारीरिक तौर पर आघात पहुंचाया।
प्राथमिकी में कहा गया कि महिला के परिवार ने उसकी शादी के समय एक बड़ी रकम खर्च की थी और पति तथा उसके परिवार को काफी धन दिया था। हालांकि, शादी के कुछ समय बाद पति और उसके परिवार ने उसे इस झूठे बहाने से परेशान करना शुरू कर दिया कि वह एक पत्नी और बहू के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल है। उन्होंने उस पर अधिक दहेज के लिए भी दबाव डाला। पीठ ने कहा कि प्राथमिकी और आरोपपत्र को पढ़ने से पता चलता है कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप काफी अस्पष्ट हैं।
वैवाहिक विवादों में अंतिम उपाय हो पुलिस का सहारा
न्यायालय ने कहा कि वैवाहिक विवादों में पुलिस तंत्र का सहारा अंतिम उपाय के रूप में लिया जाना चाहिए। इसने कहा, ‘सभी मामलों में, जहां पत्नी उत्पीड़न या दुर्व्यवहार की शिकायत करती है, भादंसं की धारा 498ए को यांत्रिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता। पति-पत्नी के बीच रोजमर्रा की शादीशुदा जिंदगी में मामूली गुस्सा और मामूली झगड़े भी क्रूरता की श्रेणी में नहीं आ सकते।’

Advertisement
Advertisement
Advertisement