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धूमल को कमजोर करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने रोके हमीरपुर जिले में विकास कार्य

07:10 AM Jul 04, 2024 IST
धूमल को कमजोर करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने रोके हमीरपुर जिले में विकास कार्य
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बुधवार को हमीरपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए। -निस
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हमीरपुर, 3 जुलाई (निस)
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को हमीरपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. पुष्पिंदर वर्मा के पक्ष में क्षेत्र के बल्ह, बलोह, अग्घार, दरोग, खग्गल व धनेड में चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल के हारने का हमीरपुर जिले को बड़ा नुकसान हुआ। बीते 5 साल में जिले में विकास कार्य नहीं हुए। सुक्खू ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने धूमल को कमजोर करने के लिए क्षेत्र में विकास रोक दिये। जिले से कोई मंत्री नहीं बनाया। सुक्खू ने कहा कि प्रेम कुमार धूमल 2017 में भाजपा के घोषित मुख्यमंत्री प्रत्याशी थे, उन्हें साजिश के तहत हराया गया। इसमें भाजपा के साथ वे लोग शामिल थे, जिन्होंने वर्तमान सरकार को गिराने की साजिश रची।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी ने सोचा नहीं होगा कि हमीरपुर जैसे छोटे जिले को दोबारा मुख्यमंत्री मिलेगा। लेकिन, कांग्रेस ने पहली बार हमीरपुर जिले से मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन मेरे अपने ही जिले के तीन विधायक सरकार गिराने के षड्यंत्र में शामिल हो गए। दूसरे जिलों के विधायक व लोग अपने जिले का मुख्यमंत्री चाहते हैं जबकि हमीरपुर जिले के तीन विधायक मुख्यमंत्री को हटाने में ही लग गए। ये वही लोग हैं जिन्होंने धूमल को हराने की भी साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि जब सरकार गिराने की कोशिश हुई तो शिमला, कांगड़ा, सिरमौर, कुल्लू, ऊना के दो, चंबा इत्यादि जिलों के 34 विधायक चट्टान की तरह उनके साथ खड़े रहे, लेकिन हमीरपुर जिले के तीन विधायकों ने गद्दारी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आशीष शर्मा निर्दलीय विधायक थे। अगर कांग्रेस सरकार काम नहीं कर रही थी तो भाजपा के साथ विपक्ष में बैठ जाते, इस्तीफा देने की जरूरत क्या थी। सुक्खू ने कहा कि अगर पहले उनके काम नहीं हो रहे थे तो अब किससे उम्मीद है कि काम हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार में हमीरपुर अधीनस्थ चयन बोर्ड में पेपर बिकते रहे और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री रहते चैन की नींद सोए रहे। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद चयन बोर्ड को भंग किया और पेपर बेचने वालों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा। जयराम के समय की सारी भर्तियां कोर्ट में लटकी रहीं, कांग्रेस सरकार ने सही तरीके से कोर्ट में पैरवी कर रिजल्ट निकालने व नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू की है। हमने 14 महीने में 22 हजार सरकारी भर्तियां निकाली हैं, जयराम सरकार ने 5 साल में मात्र 20 हजार सरकारी नौकरियां दीं।

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