‘पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुपालक बढ़ाएं चारे की मात्रा’
भिवानी, 19 दिसंबर (हप्र)
बढ़ती सर्दी और मौसम में बदलाव के कारण पशु भी बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता घटने लगी है। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. रविंद्र सहरावत ने बताया कि सर्दी के मौसम में इंसानों के साथ-साथ पशुओं को भी ठंड से बचाना बहुत जरूरी है। विशेषकर दुधारू व छोटे पशुओं का ठंड में विशेष ध्यान रखना चाहिए। पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को
आगाह किया है कि वे विशेष सावधानियां बरतकर अपने पशुओं को ठंड में बीमार होने से बचा सकते हैं।
सहरावत ने बताया कि ठंड के मौसम में विशेष तौर से छोटे पशु निमोनिया के शिकार हो जाते हैं तथा बड़े पशुओं में ठंड के लक्षण आने लगते हैं। जिसके चलते पशु के नाक से पानी गिरना शुरू हो जाता है। उसके शरीर का तापमान गिर जाता है। अधिक सर्दी के कारण पशु चरना छोड़ देता है। वहीं निमोनिया के कारण सांस लेने में कठिनाई होती है।
उन्होंने कहा कि दूध देने वाले पशुओं को व ब्याने वाले पशुओं को सामान्य पशु से ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। इसके लिए उसका खाना बढ़ाना चाहिए। डा. रविंद्र सहरावत ने बताया कि ठंड से पशुओं का बचाव करके ही पशुपालक उन्हे बीमार होने से बचा सकते हैं।
ठंड से पशुओं को बचाने के लिए पशु चिकित्सक डा. विजय सनसनवाल ने बताया कि बाड़े के चारों तरफ ढककर रखें, बाड़े में पशुओं के मूत्र को एकत्रित न होने दें। सफाई का विशेष ध्यान रखे, पशु के ऊपर भी कंबल इत्यादि डालकर रखें।
धूप निकलने पर ही पशु को बाहर निकालें। ज्यादा ठंड होने पर बाड़े को रात को गर्म करके रखें। बाड़े में घुटन न हो इसके लिए उसे हवादार भी बनाए रखें। पशु के बांधने के स्थान पर तूड़ा, बाजरे के बुमले या पराली इत्यादि भी नीचे डालनी चाहिये। सामान्य तापमान का पानी पिलाएं, जोहड़ी इत्यादि में पशु को पानी पिलाने से परहेज करेना चाहिये। पशु को तूड़ा ज्यादा मात्रा में खिलाएं, हर रोज पशु को 250 ग्राम गुड़ व 50 ग्राम खनिज मिश्रण अवश्य खिलाया जाये।