राम राज्य की स्थापना के लिए पहले प्रभु राम को जानना होगा
जगाधरी, 18 नवंबर (हप्र)
श्रीराम कथा के अंतिम दिन सोमवार को साध्वी श्रेया भारती ने रामराज्य प्रसंग का विस्तृत वर्णन किया। कथावाचक साध्वी श्रेया भारती ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मार्गदर्शन में अयोध्या का राज्य सभी प्रकार से उन्नत था। क्या यहीं राम राज्य की वास्तविक परिभाषा है तो इसका जवाब है नहीं। अगर यही रामराज्य की सही परिभाषा है तो श्री लंका भी तो भौतिक सम्पन्नता, समृद्धि, ऐश्वर्य, सुव्यवस्थित सेना में अग्रणी थी। परन्तु फिर भी उसे राम राज्य के समतुल्य नहीं कहा जाता, क्योंकि लंकावासी मानसिक स्तर पर पूर्णता अविकसित थे। उनके भीतर आसुरी प्रवृत्तियों का बोलवाला था। वहां की वायु तक में भी अनीति, अनाचार और पाप की दुर्गन्ध थी। राम के राज्य की बात सुनते ही अक्सर मनमें विचार आते हैं। कि राम राज्य आज भी होना चाहिये। साध्वी ने कहा कि वर्तमान समय में भी यदि हम ऐसे ही अलौकिक राम राज्य की स्थापना करना चाहते हैं तो सर्वप्रथम प्रभु राम को जानना होगा। प्रभु राम का प्राकट्य अपने भीतर करवाना होगा। ऐसे ब्रह्मस्वरूप श्री राम जी को केवल ब्रह्मज्ञान के द्वारा ही जाना जा सकता है। इस अवसर पर यजमान परिवार विकास बंसल,अकाश बंसल व नंदलाल ने अपने परिवारों सहित कथा में पूजन कियाए। अरुण गर्ग, डाॅ. संजीव आहुजा आरोग्य हॉस्पिटल, रवि सोनी, अशोक कुमार रोहिल्ला, जिला अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद, योगेश कुमार जिला प्रचारक, रमेश मित्तल, गुरमेल सिंह मौजूद रहे।