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निर्यात लक्ष्यों को हासिल करने का वक्त

12:14 PM Aug 13, 2021 IST

चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश से निर्यात बढ़ने का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। ऐसे में यह समय देश से निर्यात की प्रचुर संभावनाओं को साकार करने का है। हाल ही में 6 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश में भारतीय मिशनों के प्रमुखों और वाणिज्य और उद्योग के हिस्सेदारों के साथ वर्चुअल मीटिंग में चर्चा करते हुए कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच भारत से वस्तुओं के निर्यात बढ़ाने के चार मंत्र दिए हैं। एक, गुणवत्तापूर्ण और वैश्विक स्तर के घरेलू विनिर्माण को बढ़ाना। दो, ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स में आने वाली समस्याओं का शीघ्र निराकरण करना। तीन, केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा निर्यातकों के लिए समन्वित रूप से काम करना। चार, भारतीय उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार का विस्तार करके निर्यात को गति देना।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से उद्योग को मदद मिलेगी, जिसकी मदद से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। इस समय निर्यात जीडीपी का करीब 20 प्रतिशत है। हमारी अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए हमारी क्षमता, हमारे विनिर्माण व सेवा क्षेत्र की दिशा में बहुत ज्यादा बढ़ने की जरूरत है।

गौरतलब है कि कोरोना काल में दुनिया के विभिन्न देशों में दिए गए प्रोत्साहन पैकेजों और दुनिया में बाजारों के तेजी से पटरी पर आने से लोगों की मुट्ठियों में धन बढ़ा है और परिणामस्वरूप दुनियाभर में विभिन्न उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं बढ़ रही हैं। अमेरिका में दिए गए विभिन्न प्रोत्साहन पैकेज उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 27 फीसदी के बराबर हो गए हैं। विश्व बैंक का अनुमान है कि वर्ष 2021 में विश्व अर्थव्यवस्था 5.6 फीसदी की दर से बढ़ेगी। मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक विश्व अर्थव्यवस्था 6.4 फीसदी, अमेरिकी अर्थव्यवस्था 5.9 फीसदी, यूरो अर्थव्यवस्था 5 फीसदी और यूके की अर्थव्यवस्था 5.3 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। इससे भारत से होने वाले निर्यात की गति भी बढ़ेगी।

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चालू वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल से जुलाई के पहले 4 महीने के दौरान भारत का निर्यात 130.56 अरब डॉलर रहा है, जो उसके कुल 400 अरब डॉलर के सालाना निर्यात के लक्ष्य का एक- तिहाई है। आत्मनिर्भर भारत से अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है। अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान निर्यात पिछले साल की समान अवधि में हुए निर्यात से 73.86 प्रतिशत और 2019 की समान अवधि की तुलना में हुए निर्यात से 21.85 प्रतिशत ज्यादा है। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि कोरोना काल में जब दुनिया के कई खाद्य निर्यातक देश कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण चावल, गेहूं, मक्का और अन्य कृषि पदार्थों का निर्यात करने में पिछड़ गए, ऐसे में भारत ने इस अवसर का दोहन करके कृषि निर्यात बढ़ा लिया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक देश दुनिया के पहले दस बड़े कृषि निर्यातक देशों में चमकते हुए दिखाई दे रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश से कृषि एवं संबद्ध उत्पादों के रिकॉर्ड निर्यात की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।

यह कोई छोटी बात नहीं है कि भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात जुलाई 2021 में बढ़कर 35.17 अरब डॉलर पहुंच गया। यह 9 साल का रिकॉर्ड स्तर है। जुलाई, 2019 की तुलना में निर्यात में 34 प्रतिशत वृद्धि और पिछले साल जुलाई की तुलना में 48 प्रतिशत वृद्धि हुई है। पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग के सामान और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में मांग ज्यादा होने की वजह से इनके निर्यात में बड़ी तेजी आई है। कोविड-19 के कारण दुनियाभर में चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के बीच भारत ने कोरोना से लड़ाई में सबके प्रति सहयोगपूर्ण रवैया अपना कर पूरी दुनिया में निर्यात के नए मौके भी बढ़ाए हैं। भारत का फॉर्मा और एग्रीकल्चर सेक्टर दुनिया के कई देशों के मददगार बने हैं। देश से निर्यात में तेजी आने का एक बड़ा कारण कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच विनिर्माण क्षेत्र को लॉकडाउन से बाहर रखने के कारण उत्पादन में गतिरोध नहीं आना है। देश में कॉर्पोरेट कर दर को घटाया गया है। कई अहम क्षेत्रों में उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं ने पहली बार कच्चे माल के बजाय उत्पादन को बढ़ावा दिया है। श्रम कानूनों को सरल किया गया है। एमएसएमई की परिभाषा को सुधारा गया है ताकि उनका आकार बढ़ सके और उन्हें एमएसएमई का लाभ मिले। इन कदमों से घरेलू उद्योग का आकार बढ़ाने में मदद मिली और निर्यात भी बढ़े।

विश्व व्यापार संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक निर्यात में अभी भारत की स्थिति कमजोर बनी हुई है। कुल वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी कम है। यद्यपि भारत ने निर्यात में इजाफा किया है लेकिन आकार में भारत चीन और अन्य कई एशियाई देशों से काफी पीछे है। कई देशों जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, थाईलैंड और मलेशिया आदि ने निर्यात को आर्थिक बदलाव का वाहक बनाया है। इनकी मान्यता रही है कि मजबूत निर्यात विकास के लिए जरूरी है। इन देशों में निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन वाला ढांचा तैयार किया गया है। इसके तहत बैंकों से रियायती ऋण, निर्यात सब्सिडी और शोध एवं विकास के लिए विशेष प्रोत्साहन शामिल किए गए। इन देशों ने श्रम आधारित उद्योगों में अपनी क्षमता विकसित की और ये देश विनिर्माण मूल्य शृंखला में तेजी से आगे बढ़े। इन देशों ने बुनियादी क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश के जरिये लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने तथा कई नीतिगत क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण काम किया है।

चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 400 अरब डॉलर का लक्ष्य पाने के लिए अब अगस्त से अप्रैल 2022 तक के आठ महीनों में प्रति माह करीब 33.68 अरब डॉलर का लक्ष्य पाना होगा। इसके लिए देश के निर्यात बास्केट के विविधीकरण और साथ ही नए उत्पादों को चिन्हित करने की जरूरत है, जिससे उनका निर्यात संबंधित बाजारों में किया जा सके। निर्यात बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के ऋण अनुपात को बढ़ाना होगा। बिजली, लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी तथा श्रम कानून व अन्य बाधाएं दूर करने की भी जरूरत है। इसी प्रकार देश के निर्यात क्षेत्र के विस्तार की भी जरूरत है।

यह भी जरूरी है कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज), एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट (ईओयू), औद्योगिक टाउनशिप एवं ग्रामीण इलाकों में काम कर रही निर्यात इकाइयों से निर्यात बढ़ाए जाने के विशेष प्रयत्न किए जाएं। देश में निर्यातकों को सस्ती दरों पर और समय पर कर्ज दिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी होगी। चूंकि पिछले कुछ सालों में निर्यात कर्ज का हिस्सा कम हुआ है, ऐसे में किफायती दरों पर कर्ज सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। सरकार के द्वारा अन्य देशों की गैर शुल्कीय बाधाएं, मुद्रा का उतार-चढ़ाव, सीमा शुल्क अधिकारियों से निपटने में मुश्किल और सेवा कर जैसे निर्यात को प्रभावित करने वाले कई मुद्दों से निपटने की रणनीति जरूरी है।

लेखक ख्यात अर्थशास्त्री हैं।

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